नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग खाने-पीने की दुकानों पर वहां काम करने वालों के नाम लिखने का निर्देश दिया है. इस निर्देश की तमाम राजनेताओं ने एक सुर में आलोचना की है. इसी विवाद के बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह भारत में मुसलमानों के प्रति नफरत को दर्शाता है.
यह आंतरिक नफरत…
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और इंडिया ब्लॉक की आलोचना करते हुए, ओवेसी ने कहा कि यह “आंतरिक नफरत” राजनीतिक दलों या हिंदुत्व के नेताओं और उन पार्टियों के कारण है जो खुद को “धर्मनिरपेक्ष” कहते हैं.
मुसलमानों के प्रति नफरत की वास्तविकता
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में एक अंडे की दुकान की तस्वीर साझा करते हुए जिसमें उसके मालिक का नाम प्रदर्शित किया गया है, ओवैसी ने कहा, यूपी के कांवड़ मार्गों पर डर है. यह भारतीय मुसलमानों के प्रति नफरत की वास्तविकता है, इस आंतरिक नफरत का श्रेय राजनीतिक दलों/हिंदुत्व के नेताओं और तथाकथित दिखावटी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को जाता है. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस कदम पर कटाक्ष किया.
कपिल सिब्बल ने किया कटाक्ष
सिब्बल ने ‘x’ पर एक पोस्ट में कहा, “कांवड़ यात्रा मार्ग यूपी सड़क के किनारे ठेलों सहित भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश देता है! क्या यह “विकसित भारत” का मार्ग है? विभाजनकारी एजेंडे केवल देश को विभाजित करेंगे!” .
बृंदा करात ने भी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता बृंदा करात ने भी इस कदम को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा और इसकी तुलना नाजी जर्मनी से की. करात ने एएनआई से बात करते हुए कहा, उत्तर प्रदेश सरकार इस तरह के आदेश जारी करके भारत के संविधान को नष्ट कर रही है. एक पूरे समुदाय को अपमानित किया जा रहा है. वे समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं. इस प्रकार का लक्ष्य जर्मनी में नाजियों द्वारा किया गया था.
अदालतों से कदम उठाने की मांग करते हुए सीपीआईएम नेता ने कहा, अदालतें इसके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं. आदेश वापस लिया जाना चाहिए.