नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की जारी मतगणना के दौरान मध्यप्रदेश के इंदौर में ‘नोटा’(उपरोक्त में से कोई नहीं) ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. नोटा ने बिहार के गोपालगंज का पिछला रिकॉर्ड तोड़ते हुए अब तक 1.95 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर लिए हैं.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘नोटा’ को बिहार की गोपालगंज सीट पर सर्वाधिक वोट मिले थे. तब इस क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था और कुल मतों में से करीब पांच प्रतिशत वोट ‘नोटा’ के खाते में गए थे. उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ‘नोटा’ के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में शामिल किया गया था.
बीजेपी उम्मीदवार सबसे बड़ी जीत की ओर
निवर्तमान सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार शंकर लालवानी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी संजय सोलंकी से 9 लाख से ज्यादा वोट से आगे हैं. लालवानी इस सीट पर रिकॉर्ड जीत की ओर आगे बढ़ रहे हैं जहां कुल 14 उम्मीदवारों के बीच चुनावी टक्कर है.
इंदौर में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया और वह इसके तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे.
कांग्रेस ने की थी नोटा को वोट देने की अपील
नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गई. इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से अपील की कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर ‘नोटा’ का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाएं.
जिला निर्वाचन कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया था कि इंदौर में 13 मई को हुए मतदान में कुल 25.27 लाख मतदाताओं में से 61.75 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला. वैसे तो इस सीट पर कुल 14 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, लेकिन राजनीति के स्थानीय समीकरणों के कारण मुख्य जंग इंदौर के निवर्तमान सांसद और मौजूदा भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी और कांग्रेस समर्थित नोटा के बीच देखी जा रही है.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान इंदौर में 69.31 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था और 5,045 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था.