पटना: आरक्षण मामले पर बिहार सरकार को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में वंचितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के लिए आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाकर 65% करने के कानून को रद्द कर दिया था। इसके बाद बिहार सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सितंबर में होगी सुनवाई
हालांकि, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की ओर से दायर 10 याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट, जिसने याचिकाओं पर नोटिस भी जारी नहीं किया, ने अपील की अनुमति दे दी और कहा कि याचिकाओं पर सितंबर में सुनवाई की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ से उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया।
Supreme Court refuses to stay Patna High Court order that set aside the increase in reservation for Backward Classes in public employment and admission to educational institutions.
Supreme Court lists the matter in September for hearing Bihar Government's plea challenging Patna… pic.twitter.com/JMK4iB7R6g
— ANI (@ANI) July 29, 2024
राज्य सरकार की दलील
अधिवक्ता श्याम दीवान ने छत्तीसगढ़ के ऐसे ही एक मामले का जिक्र किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने उस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हम मामले को सूचीबद्ध करेंगे, लेकिन हम (उच्च न्यायालय के फैसले पर) कोई रोक नहीं लगाएंगे।’ पटना हाईकोर्ट ने 20 जून के अपने फैसले में कहा था कि पिछले साल नवंबर में बिहार की द्विसदनीय विधायिका द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए गए संशोधन संविधान में प्रदत्त ‘अधिकार से परे’, ‘कानून की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण’ और ‘समानता के अधिकार का उल्लंघन’ हैं।