national safe motherhood day 2024: कस्तूरबा गांधी की जयंती को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस, जानें इस साल की थीम

नई दिल्ली। भारत में गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर सेवाओं के दौरान महिलाओं की पर्याप्त देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था, प्रसव और पोस्ट-डिलीवरी और गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के प्रति जागरूक करना है।

इतिहास
2003 में व्हाइट रिबन एलायंस की पहल पर, भारत सरकार ने 11 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की घोषणा की, जो इस दिन की 19वीं वर्षगांठ है। पहला अवलोकन 2003 में आयोजित किया गया था। भारत आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश है।

महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, बच्चे के जन्म के दौरान प्रति साल 830 से अधिक महिलाओं की मौत हो जाती है। अधिकारियों ने माना कि प्रसव से पहले, प्रसव के दौरान और बाद में कुशल देखभाल महिलाओं और नवजात शिशुओं के जीवन को बचा सकती है। साथ ही महिलाओं की मृत्यु दर को कम करने के तरीकों पर जानकारी देने वाले अभियान चलाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य वैश्विक मृत्यु दर को प्रति 1000 जन्म पर 70 तक लाना है।

गर्भवती महिलाओं का ऐसें रखें ध्यान
गर्भावस्था के दौरान बायीं करवट से सोना चाहिए। इससे प्लेसेंटा में ब्लड और दूसरे पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में जाते हैं जो शिशु को फायदा करते हैं। इस दौरान पैरों और घुटनों को मोड़कर रखना चाहिए और पैरों के बीच में तकिया लगाना चाहिए। बहुत देर तक ना खड़े रहे। यदि आपको किचन में बहुत देर तक खड़ा होना पड़ता है तो वहां कुर्सी का इस्तेमाल करें। गर्भवती स्त्री को हील वाली सैंडल नही पहनना चाहिए औऱ बाहरी खाना व जंक फूड से परहेज करना चाहिए।

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