नई दिल्ली – असाधारण प्रतिभा और कड़ी मेहनत की मिसाल बनीं मोना अग्रवाल ने पैरालिंपिक्स 2024 में पैरा शूटिंग की आर2 महिला 10 मीटर एयर राइफल एसएच1 प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। मोना के धैर्य और दृढ़ संकल्प ने उन्हें जीवन की कठिनाइयों को पार कर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश का गौरव बढ़ाने का अवसर दिया है।
प्रारंभिक जीवन और चुनौतियां – राजस्थान के सीकर में 8 नवंबर, 1987 को जन्मी मोना ने बचपन में पोलियो की गंभीर चुनौती का सामना किया। इस कठिनाई के बावजूद, उन्होंने शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की और कला में डिग्री हासिल की। वर्तमान में वह मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं।
कड़ी मेहनत से सफलता की ओर – मोना ने 23 साल की उम्र में स्वतंत्र जीवन जीने का फैसला किया और शारीरिक चुनौतियों के बावजूद मानव संसाधन और मार्केटिंग में सफलता प्राप्त की। 2016 में उन्होंने पैरा-एथलेटिक्स में कदम रखा और थ्रो स्पर्धाओं में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में तीन स्वर्ण पदक जीते। इसके अलावा, उन्होंने पैरा पावरलिफ्टिंग में भी कई पदक जीते।
सीटिंग वॉलीबॉल में अग्रणी – मोना ने न केवल पैरा-एथलेटिक्स में, बल्कि महिलाओं के लिए सीटिंग वॉलीबॉल में भी अग्रणी भूमिका निभाई। 2019 में उन्होंने राजस्थान टीम की कप्तानी करते हुए राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक दिलाया।
राइफल शूटिंग में नया मुकाम – 2021 में मोना ने राइफल शूटिंग को अपना नया क्षेत्र चुना और 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक जीता। 2023 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कदम रखा और चौथे एशियाई पैरा खेलों में शानदार प्रदर्शन किया। उनकी मेहनत का फल पैरालंपिक्स 2024 में कांस्य पदक के रूप में मिला, जिसने वैश्विक मंच पर उनकी स्थिति को मजबूत किया।
प्रशिक्षण और सहायता – मोना की इस सफलता में भारत सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। खेलो इंडिया योजना और एनसीओई कार्यक्रम के तहत उन्हें विश्वस्तरीय प्रशिक्षण और सुविधाएं प्राप्त हुईं, जिसने उनके सपनों को साकार करने में अहम योगदान दिया।
मोना अग्रवाल की इस सफलता ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को गर्व का अनुभव कराया है। उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।