नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मिशन कर्मयोगी को शासन में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए कहा कि यह “शासन” से “भूमिका” की ओर आदर्श परिवर्तन का प्रतीक है। डॉ. सिंह, जो केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं, ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ सामूहिक चर्चा के दौरान मिशन कर्मयोगी, राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह और कर्मयोगी योग्यता मॉडल पर चर्चा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि सिविल सेवकों को केवल शासन से नहीं, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों से बंधा होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मिशन कर्मयोगी की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से हुई थी और इसके लिए क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) की सराहना की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मिशन कर्मयोगी ने प्रशासन में एक नई संस्कृति को जन्म दिया है, जो उत्तरदायी, गतिशील और समकालीन भारत के साथ जुड़ी हुई है। इसके माध्यम से नौकरशाहों को विभिन्न मंत्रालयों में बेहतर कामकाज के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो सरकार के विविध कार्यों में सहायक साबित होगा।
डॉ. सिंह ने ‘एक सरकार’ दृष्टिकोण पर जोर दिया और बताया कि यह विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक मजबूत और सतत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि बदलते समय की मांग के अनुसार निरंतर सीखते रहना सिविल सेवकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सामूहिक चर्चा के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि इसका मकसद मंत्रालय के अधिकारियों को एक साथ लाना और चुने गए विषयों पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच प्रदान करना है। इस चर्चा के माध्यम से अधिकारी राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के दौरान आयोजित वेबिनार से प्राप्त जानकारी का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार का विचार-मंथन भारत के प्रशासनिक ढांचे को और सुदृढ़ बनाने के लिए एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सहायक होगा, जो उद्योगों, विभागों और संपूर्ण सरकार के लिए फायदेमंद साबित होगा।