उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत पर आधारित फिल्म है ‘मीठी‘
उत्तराखंड फूड, खाकर तो देखो कैंपेंन से लांचिंग की शुरूआत
इंडियन आइडल फेम पवनदीप राजन ने गाया है फ़िल्म में गाना
देहरादून। उत्तराखंड के खाद्यान्नों पर आधारित पहली उत्तराखंडी फिल्म ‘मीठी‘ की लांचिंग जल्द होगी। इस फिल्म में स्थानीय उत्पादों और उत्तराखंड की संस्कृति को महत्व दिया गया है। फिल्म में दो गाने हैं। फ़िल्म में एक गाना इंडियन आइडल फेम पवनदीप राजन ने गाया है। इस गाने में कोदे की रोटी और काफला समेत पहाड़ी उत्पादों का उल्लेख किया गया है। फिल्म के निर्माता वैभव गोयल का कहना है कि फिल्म में उत्तराखंड की संस्कृति, परिवेश और खान-पान को प्रोत्साहित किया गया है ताकि उत्तराखंड के पकवानों को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल सके। उन्होंने कहा कि फिल्म को जल्द लांच किये जाने की तैयारी है। फिल्म को ओटीटी पर भी लांच किया जाएगा।
02 घंटे 27 मिनट की फिल्म में 160 कलाकार
फ़िल्म के निर्माता वैभव गोयल के मुताबिक फिल्म मीठी का निर्माण कलर्ड चौकर्स फिल्म्स एंड एंटरटेंनेमेंट प्राइवेट लिमिटिड के बैनर तले किया गया है। दो घंटे 27 मिनट की इस फिल्म में 160 कलाकारों ने काम किया है। इनमें से 70 प्रतिशत कलाकार नये हैं और स्थानीय युवाओं को मंच दिया गया है। उन्होंने कहा कि फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में की गयी है। फिल्म में अभिनय करने से पहले कलाकारों के लिए वर्कशॉप भी आयोजित की गयी थी। फिल्म के डायरेक्टर कांता प्रसाद हैं। फिल्म की कहानी उत्तराखंडी खाद्यान्नों और भोजन पर केंद्रित है। फिल्म में उत्तराखंड की समृद्ध विरासत और परम्पराओं को प्रतिष्ठापित किया गया है।
तीन चरणों में होगी फिल्म की लांचिंग
मीठी फ़िल्म के निर्माता वैभव गोयल के मुताबिक फिल्म की लांचिंग तीन चरणों में होगी। प्रमोशनल एक्टिविटीज शुरू हो चुकी हैं। इसके बाद म्यूजिक और पोस्टर लांचिंग होगा और फिर फिल्म की लांचिंग सतरंगी परदे पर होगी। उन्होंने कहा कि फिल्म को सुदूर गांव के व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए ओटीटी पर भी फिल्म प्रदर्शित की जाएगी।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने दिया था मुहूर्त शॉट
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने इस फिल्म का मुहूर्त शॉट दिया था। उत्तराखंडी फूड पर बनी फिल्म की सफलता के लिए उन्होंने शुभकामनाएं दीं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि प्रदेश में फिल्म निर्माण की अपार संभावनाएं हैं। सरकार नई फिल्म नीति से फिल्मों को प्रोत्साहन देने का काम कर रही है। यही कारण है कि आज उत्तराखंड और यहां के लोकेशन वॉलीबुड से लेकर हालीवुड फिल्म निर्माताओं को भी भा रहे हैं। फिल्म की शूटिंग गढ़वाल के विभिन्न इलाकों के अलावा नोएडा और रामपुर तिराहे में भी हुई।
एक्सपर्ट ने सिखाये कलाकारों को अभिनय के गुर
फिल्म निर्माता व कंपनी के निदेशक वैभव गोयल के अनुसार कलाकारों को एफटीआई और दून फिल्म इंस्टीट्टूट के एक्सपर्ट ने पांच दिनों तक अभिनय के गुर सिखाए हैं। यह गढ़वाली फिल्म में पहली बार हुआ है कि कलाकारों को एफटीआई के एक्सपर्ट ने वर्कशॉप के माध्यम से ट्रेनिंग दी। इन कलाकारों को गढ़वाली फिल्म में लिया गया है। वैभव गोयल के मुताबिक कंपनी जल्द ही ओटीटी पर एक सीरियल भी लाने की तैयारी में है। उनका कहना है कि हम चाहते हैं कि उत्तराखंड के प्रतिभावान कलाकारों और नवोदित कलाकारों को एक बेहतर मंच मिले। इसके तहत निकट भविष्य में एक डांस और सिंगिंग शो भी आयोजित किया जाएगा। गौरतलब है कि अब तक गढ़वाली फिल्म की लांचिंग के लिए मार्केटिंग और प्रमोशन का अभाव नजर आता रहा है लेकिन कलर्ड चौकर्स कंपनी का फोकस मीठी फिल्म की मार्केटिंग और प्रमोशन पर रहेगा। गौरतलब है कि कलर्ड चौकर्स फिल्म एंड इंटरटेनमेंट 2007 से फिल्म, एड फिल्म, एलबम और आउटडोर पब्लिसिटी का कार्य कर रहा है। कंपनी पहले चरण में उत्तराखंड और दूसरे चरण में हिमाचल में फिल्म निर्माण का कार्य करेगी।
उत्तराखंड गौरव सम्मान-2024 से सम्मानित हुए वैभव गोयल
वैभव गोयल फिल्म निर्माण, डिजिटल विज्ञापन व समाजिक कार्यों के क्षेत्र में पिछले 12 वर्षों से लगातार सक्रिय हैं। एनिमेशन से शिक्षा ग्रहण करके के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा। फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखने मुंबई गये। वहां प्रसिद्व फिल्म निर्माता केतन मेहता के मैक इंस्टीटियूट से फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखी। इसके बाद देश के अलग अलग स्थानों में फिल्म निर्माण के कई संस्थान इंस्टीटियूट खोलने में इनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। वैभव गोयल अब तक 500 से अधिक कर्मिशियल विज्ञापन फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। वैभव गोयल जल्द अपना उत्तराखंड, हिमाचल व नेपाली बोली भाषा की फिल्मों पर आधारित एप्प लांच करने वाले हैं। वर्तमान में यह उत्तराखंडी बोली भाषा पर बनी ‘मीठी‘ मूवी का निर्माण कर रहे हैं। वैभव गोयल कहते हैं उनका एक ही संकल्प है कि उत्तराखंड के अंतिम गांव, अंतिम व्यक्ति तक सिनेमा की पहुंच हो। तभी उत्तराखंड के सिनेमा का विकास संभव है।