मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर पिछले दो ओलंपिक खेलों से निशानेबाजी में चले आ रहे सूखे को खत्म कर दिया है। मनु भाकर ओलंपिक निशानेबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इससे पहले भारत ने निशानेबाजी में चार पदक जीते हैं और यह पदक जीतने वाले सभी चारों निशानेबाज पुरुष हैं। मनु भाकर ने ओलंपिक खेलों की शुरुआत में ही पदक पर निशाना साधकर इन खेलों में भाग ले रहे शूटरों का ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय दल की बॉडी लेंग्वेज बदल दी है। इससे अन्य खिलाडिय़ों को अपना बेस्ट देने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे भारत अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सफल हो सकता है।
यह मनु की सफलता का ही प्रभाव था कि रमिता झिंदल ने 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में स्थान बनाया। हालांकि वह फाइनल में पहुंचकर भी पदक नहीं पा सकीं और उन्हें सातवें स्थान से ही संतोष करना पड़ा। हम सभी जानते हैं कि भारतीय निशानेबाज यदि तीन चार पदकों पर निशाना साधने में सफल हो जाएं तो भारतीय पदकों की संख्या दो अंकों में पहुंच सकती है। भाकर 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में पिस्टल खराब हो जाने की वजह से अपना बेस्ट नहीं दे सकीं थीं।
इसके बाद उनके कोच जसपाल राणा से संबंध खत्म हो गए थे, लेकिन जसपाल ने अलग होने के बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आती गई। वह तो खुदा का शुक्र है कि उन्हें सही समय पर जसपाल राणा से फिर से जुडऩे की जरूरत महसूस हुई। मनु ने पदक जीतने के बाद कहा कि एक बार पदक पक्का हो जाने पर खुशी हुई।
पर आगे नहीं बढ़ पाने का अफसोस है। वह कहती हैं कि अगली स्पर्धा में पदक का रंग पीला यानी गोल्ड करने का प्रयास करूंगी। वह अपना ध्यान केंद्रित रखने के लिए गीता का पाठ करती हैं, जिसमें कहा गया है कि खुद के कर्म पर भरोसा रखो। यह बात भारतीय दल के सभी सदस्यों पर लागू होती है।
भारत इस समय निशानेबाजी के अलावा बैडमिंटन, टेबल टेनिस, हॉकी, बॉक्सिंग आदि में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और एथलेटिक्स और कुश्ती शुरू होने पर भारत की पदक संभावनाएं और बढ़ेंगी। बहुत संभव है कि हम इस बार दर्जन भर पदकों तक पहुंच जाएं। पर हमें यहीं संतुष्ट होकर नहीं बैठना चाहिए क्योंकि अभी हम आबादी के हिसाब से विश्व स्तर से काफी पीछे हैं।