नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को झटका लगा है. SC ने अपने फैसले में साफ किया कि LG अपनी मर्जी से MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते है. वो MCD में पार्षद मनोनीत करने के लिए दिल्ली सरकार की सलाह- सहायता मानने के लिए बाध्य नहीं है. एलजी की ओर से 10 पार्षद मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है, ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए.
एल्डरमैन को लेकर चल रहे मौजूदा विवाद के SC में लंबित रहने चलते एमसीडी में अब तक स्टैंडिंग कमिटी का गठन नहीं हो पाया है. क्योंकि स्टैंडिंग कमिटी के चुनाव में एल्डरमैन कहलाने वाले मनोनीत पार्षद भी वोट देते हैं.
यहां ये भी गौर करने लायक है कि 5 करोड़ से ज़्यादा के प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंज़ूरी ज़रूरी है. इसी के चलते मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं. एक ऐसे वक्त में जब जलभराव और नालों की सफाई और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में असफल रहने पर MCD सवालों के घेरे में है. अब आज के फैसले के बाद स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो पाएगा.
अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा था कि 1991 में अनुच्छेद 239एए के प्रभावी होने के बाद यह पहली बार है कि उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए ऐसी नियुक्ति की है, जिससे एक अनिर्वाचित कार्यालय को वह शक्ति प्राप्त हो गई है जो विधिवत निर्वाचित सरकार की होती है.