नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय को शुक्रवार, 23 अगस्त को जज के सामने पेश किया गया। इस दौरान, जब उससे पूछा गया कि क्या वह अपना पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहता है, तो संजय रॉय जज के सामने फूट-फूटकर रोने लगा और कहने लगा कि वह बेकसूर है और उसे फंसाया जा रहा है।
शुक्रवार को सीबीआई ने संजय रॉय को कोलकाता की अदालत में पेश किया और उससे पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए इजाजत मांगी। संजय रॉय की इस भावनात्मक प्रतिक्रिया ने मामले को एक नया मोड़ दे दिया है, क्योंकि अब तक सीबीआई उसे एक निर्दयी व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रही थी, जिसके अंदर कोई भावना नहीं थी। लेकिन संजय रॉय के खुद को निर्दोष बताने के बाद लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या उसकी बातों में सच्चाई हो सकती है।
“पोलीग्राफ टेस्ट शायद मुझे निर्दोष साबित करेगा”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब जज ने संजय रॉय से पूछा कि वह पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों कराना चाहता है, तो संजय रो पड़ा और कहा कि उसने टेस्ट के लिए सहमति इसलिए दी है क्योंकि वह निर्दोष है और उसे फंसाया जा रहा है। उसने उम्मीद जताई कि यह टेस्ट उसकी निर्दोषता साबित कर सकता है।
पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट का मकसद व्यक्ति से सच निकलवाना होता है। इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति को मशीन से कनेक्ट किया जाता है और उससे सवाल किए जाते हैं। सवालों के जवाब देते समय पॉलीग्राफ मशीन उस व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापती है, जैसे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, और सांस लेने की दर। यह माना जाता है कि अगर व्यक्ति इस दौरान झूठ बोलता है, तो उसके हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी हो जाती है।
संजय रॉय के इस बयान के बाद से मामला और पेचीदा हो गया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पॉलीग्राफ टेस्ट के नतीजे क्या साबित करते हैं।