कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
चीफ जस्टिस ने गुरुवार (22 अगस्त) को कहा, “सभी डॉक्टरों को काम पर लौटने दें। हम सामान्य आदेश पारित करेंगे और अधिकारियों पर दबाव डालेंगे कि वे डॉक्टरों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई न करें। यदि डॉक्टर काम पर नहीं लौटेंगे, तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा?”
डॉक्टरों की लंबी ड्यूटी पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की लंबी ड्यूटी पर भी चिंता व्यक्त की। चीफ जस्टिस ने कहा, “48 या 36 घंटे की ड्यूटी ठीक नहीं है। जूनियर डॉक्टर यौन उत्पीड़न और अन्य प्रकार के उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील होते हैं।”
एम्स नागपुर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि कोलकाता रेप-मर्डर केस के विरोध में प्रदर्शन करने पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
CBI ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी केस की रिपोर्ट
CBI ने इस केस की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। एजेंसी ने कोर्ट को 9 दिन की जांच के दौरान मिली जानकारी से अवगत कराया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को यह केस CBI को सौंपा था। इसके अलावा, कोलकाता पुलिस ने भी 14-15 अगस्त की रात अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की जांच रिपोर्ट पेश की है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को फटकार लगाई थी।