नई दिल्ली। हर साल 23 अप्रैल को पढ़ने के लिए प्यार को बढ़ावा देने और पुस्तक के महत्व से लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। पहले लोग पढ़ने लिखने किसी भी तरह के काम के लिए किताबों और कापियों का ही प्रयोग करते थे लेकिन अब कम्प्यूटर और इंटरनेट के कारण पुस्तकों से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि लोगों और किताबों के बीच की दूरी को पाटने के लिए यूनेस्को ने ’23 अप्रैल’ को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यूनेस्को के निर्णय के बाद से पूरे विश्व में इस दिन ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाया जाता है।
महत्व
यह तिथि यूनेस्को के आम सम्मेलन के लिए एक स्पष्ट विकल्प थी, जो इस दिन पुस्तकों और लेखकों को विश्वव्यापी श्रद्धांजलि देने के लिए 1995 में पेरिस में आयोजित किया गया था, जिसमें सभी से पढ़ने का आग्रह किया गया था। किताबें लंबे समय से मानवता की वास्तविक और काल्पनिक दोनों तरह की दुनिया को समेटने काम करती है।
इतिहास
’23 अप्रैल’, सन 1995 को पहली बार ‘पुस्तक दिवस’ मनाया गया था। कालांतर में यह हर देश में व्यापक होता गया। किताबों का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसके बारे में बताने के लिए ‘विश्व पुस्तक दिवस’ पर शहर के विभिन्न स्थानों पर सेमिनार आयोजित किये जाते हैं।
वर्तमान में यह आयोजन विश्व के 100 देशों में इंग्लैंड तथा आयरलैंड को अपवादस्वरूप छोड़कर किया जाता है। स्थानीय कारणों से इंग्लैंड तथा आयरलैंड में यह आयोजन 3 मार्च को होता है।
यूनेस्को के द्वारा इसे 23 अप्रैल को मनाने का फैसला किया गया था क्योंकि, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार प्रसिद्ध लेखक जिन्होंने लोगों को जीवन जीने का नया नजरिया दिया विलियम शेक्सपियर की जन्मतिथि एवं पुण्यतिथि दोनों एक ही दिन 23 अप्रैल को थी। जिसकी वजह से उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से भी इस दिन का आयोजन किया गया।
विश्व पुस्तक दिवस 2024 की थीम
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस 2024 की थीम “रीड योर वे” है। यह विषय पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने और उसके आनंद के महत्व के प्रति लोगो को जागरूक करने पर जोर देता है।