मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन ‘घोटाले’ में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर मुकदमा चलेगा

कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन ‘घोटाले’ के मामले में अब मुकदमा चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। खबरों के अनुसार, सिद्धरमैया सरकार इस मामले पर चर्चा के लिए शनिवार शाम 5 बजे एक बैठक आयोजित करेगी और राज्यपाल के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रही है।

राजभवन के अधिकारी ने क्या बताया?
राजभवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल सचिवालय ने प्रदीप कुमार एस पी, टी जे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के तहत अर्जी में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए सिद्धरमैया के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के निर्णय की जानकारी दी है।

कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के लिए तैयार
राज्यपाल के निर्णय के बाद आज शाम पांच बजे राज्य मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक बुलाई गई है। आधिकारिक और कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अभियोजन के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं। सिद्धरमैया ने कई बार स्पष्ट किया है कि यदि राज्यपाल ‘कारण बताओ नोटिस’ को वापस लेने की कैबिनेट की सलाह को अस्वीकार कर देते हैं और अभियोजन की अनुमति देते हैं, तो उनकी सरकार कानूनी और राजनीतिक रूप से इस मुद्दे से निपटने के लिए तैयार है।

क्या है MUDA केस?
1992 में मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से अधिगृहित की थी और उसे डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया। लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को वापस कर दिया था। 2004 में सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती के भाई ने डेनोटिफाई की गई 3 एकड़ 14 गुंटा ज़मीन का एक टुकड़ा खरीदा था। उस समय कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार थी, जिसमें सिद्धरमैया डिप्टी सीएम थे।

केस में सिद्धरमैया की भूमिका
इस दौरान जमीन के विवादास्पद टुकड़े को दोबारा डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया। लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक़ लेने सिद्धरमैया का परिवार गया, तो वहां पहले से ही लेआउट विकसित हो चुका था। इसके बाद एमयूडीए से इस जमीन पर हक़ की लड़ाई शुरू हुई। जब उनके परिवार की तरफ से जमीन की अर्जी सिद्धरमैया तक पहुंचाई गई, तो उन्होंने इसे यह कहते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया कि लाभार्थी उनका परिवार है, इसलिए वह इस फाइल को आगे नहीं बढ़ाएंगे।

फिर 2022 में यह फाइल बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार के पास पहुंची। बोम्मई सरकार ने MUDA के 50-50 स्कीम के तहत 14 प्लॉट्स मैसूर के विजयनगर इलाके में देने का फैसला किया। इस समय सिद्धरमैया विपक्ष के नेता थे।

 

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