नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन ‘घोटाले’ के संबंध में मामला दर्ज किया गया है। इस मामले को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की है। वहीं, सिद्धारमैया ने अपने चार दशकों के राजनीतिक करियर में किसी भी प्रकार के गलत कार्य से इनकार किया है।
सिद्धारमैया का न्यायपालिका पर भरोसा
सोमवार को सिद्धारमैया ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई के दौरान उनका जोश और बढ़ जाता है। एमयूडीए द्वारा भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं के संबंध में राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा जांच की मंजूरी देने के आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। सिद्धारमैया ने कहा, “मेरी अंतरात्मा साफ है और मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।” सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी उच्च न्यायालय में उनके मामले की पैरवी करेंगे।
‘कभी गलत नहीं किया, न ही कभी करूंगा’
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने याद दिलाया कि वह 40 साल पहले 17 अगस्त 1984 को पहली बार मंत्री बने थे और उनके राजनीतिक जीवन में ‘एक भी काला धब्बा’ नहीं है। उन्होंने कहा, “मेरा राजनीतिक जीवन एक खुली किताब है। मैंने कभी गलत काम नहीं किया है, न ही कभी करूंगा। भाजपा और जद(एस) ने राजभवन का इस्तेमाल कर मेरी छवि खराब करने की साजिश रची है।”
बीजेपी की कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश
सिद्धारमैया ने इस आदेश को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताते हुए कहा कि वह इसका राजनीतिक और कानूनी तरीके से मुकाबला करेंगे। उन्होंने कहा, “हम कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे और राजनीतिक लड़ाई भी। राजनीतिक लड़ाई के दौरान मुझे अधिक जोश आता है, और मैं लगातार इसका सामना करूंगा।” उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इस भ्रम में हैं कि अगर वे राजनीतिक रूप से खत्म हो गए तो कांग्रेस भी समाप्त हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होने वाला।