नई दिल्ली। झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने सोमवार को विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र में हंगामे के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया. मौजूदा विधानसभा में मौजूद 76 सदस्यों में से 45 ने सरकार के पक्ष में मतदान किया. विधानसभा के मौजूदा स्ट्रेंथ के हिसाब से बहुमत के लिए न्यूनतम 39 मतों की जरूरत थी. भाजपा और आजसू के विधायकों ने वोटिंग के दौरान सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए सदन का बहिष्कार किया. हेमंत सोरेन ने 4 जुलाई को रांची के राजभवन में झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
हेमंत सोरेन ने विश्वास मत पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि मेरे सदन में फिर से सीएम के रूप में आने से विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है. ये लोग जिस तरह का आचरण सदन में कर रहे हैं, उससे उनकी हताशा सामने आई है. चुनाव के बाद इनके आधे से ज्यादा विधायक दुबारा सदन में नहीं आएंगे.
प्रस्ताव पर बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सीएम हेमंत सोरेन और उनकी सरकार पर तीखे हमले किए. उन्होंने कहा कि यह दो महीने की सरकार घोटालों के साक्ष्य मिटाने के उद्देश्य से बनी है. नेता प्रतिपक्ष ने इसे ठगबंधन सरकार करार देते हुए कहा कि इसने राज्य की जनता, युवाओं, किसानों, छात्रों, आदिवासियों, दलितों को धोखा दिया है.
अमर कुमार बाउरी ने कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने के पहले युवाओं को प्रतिवर्ष पांच लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन कुछ हजार नौकरियां भी नहीं दे पाईं. यह चौथा मौका है, जब हेमंत सोरेन बतौर सीएम झारखंड विधानसभा में विश्वास मत परीक्षण में सफल हुए हैं.
गिरफ्तारी के बाद दिया था इस्तीफा
ईडी ने हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में इसी साल 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को सीएम की कुर्सी संभाली थी. 28 जून को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए और उसके छठे दिन ही चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दिया. अगले दिन यानि 4 जुलाई को हेमंत सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली.