Jal Sansadhan Diwas: विकास की गति को बाधित कर सकता है घटना जल संसाधन, मनुष्य के जीवन का आधार है पानी

नई दिल्ली। जल संसाधन दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है। जल संसाधन जल के वे स्रोत हैं जो मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं। अधिकांशतः लोगों को ताजे जल की आवश्यकता होती है। जल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। पृथ्वी की सतह का लगभग तीन-चौथाई भाग पानी से आच्छादित है। धरती पर कुल पानी का 97% नमकीन पानी है और केवल तीन प्रतिशत ताजा पानी है।

भारत में अपने नागरिकों के लिए पर्याप्त जल संसाधन की हो रही कमी
देश में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता जनसंख्या में वृद्धि के कारण धीरे-धीरे कम हो रही है। पानी का तनाव तब होता है जब पानी की मांग एक निश्चित अवधि के दौरान उपलब्ध राशि से अधिक हो जाती है या जब खराब गुणवत्ता के कारण जल का उपयोग नहीं किया जा सकता है। पानी के तनाव के कारण ताजा जल संसाधनों की मात्रा में और गिरावट आती है। जब प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1700 घन मीटर प्रतिवर्ष से कम हो जाती है, तो पानी की उपलब्धता “तनाव” में कहलाती है। जलाभाव जब किसी क्षेत्र में जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं होता है तो यह स्थिति “जलाभाव” कहलाती है। जब प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1000 घन मीटर प्रतिवर्ष से कम हो जाती है, तो जल संसाधनों के “आभाव” की स्थिति होती हैं।

जल संरक्षण का अर्थ
जल संरक्षण का अर्थ पानी बर्बादी तथा प्रदूषण को रोकने से है। जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिये पानी का संरक्षण आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में 350 मिलियन क्यूबिक मील पानी है।

भारत में दुनिया का सिर्फ 4% जल संसाधन
भारत में विश्व की 17 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है किंतु जल उपलब्धता मात्र 4% है। प्रति वार्षिक जल उपलब्धता के लिहाज से चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से भी काफी पीछे हैं। भारत में भूजल की सर्वाधिक 89% खपत सिंचाई क्षेत्र में होती है जबकि 9% भूजल घरेलू उपयोग हेतु और 2% व्यावसयिक उद्देश्यों में इस्तेमाल होता है।

 

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