नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए आगामी भारत-अमेरिका मिशन पर उड़ान भरने के लिए चुना है। शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के चौथे अंतरिक्ष यात्री बन जाएंगे।
इसरो का ऐतिहासिक मिशन
ISRO ने घोषणा की है कि उसने अमेरिका के एक्सिओम स्पेस इंक के साथ एक अंतरिक्ष उड़ान समझौता किया है। इस समझौते के तहत शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक्सिओम-4 मिशन के लिए प्राइम एस्ट्रोनॉट के रूप में चुना गया है। राष्ट्रीय मिशन असाइनमेंट बोर्ड ने इस मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला के साथ-साथ ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को बैकअप पायलट के रूप में चुना है।
कौन हैं यूपी के लाल शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। वह लखनऊ के त्रिवेणीनगर के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम शंभूदयाल शुक्ला है। शुभांशु की प्रारंभिक शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) अलीगंज से हुई है। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से शिक्षा प्राप्त की और 17 जून 2006 को भारतीय वायु सेना (IAF) की लड़ाकू स्ट्रीम में नियुक्त हुए।
शुभांशु शुक्ला के पास लगभग 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। वह एक फाइटर प्लेन लीडर और टेस्ट पायलट भी हैं। उन्होंने कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं, जिनमें Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर, और An-32 शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने रूस और अमेरिका में कठिन ट्रेनिंग भी हासिल की है। शुभांशु को पहले भी गगनयान मिशन के लिए चुना जा चुका है।
कौन हैं ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन?
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर का जन्म 26 अगस्त 1976 को केरल के तिरुवनंतपुरम में हुआ था। वह भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और उन्हें वायु सेना अकादमी में स्वोर्ड ऑफ ऑनर का सम्मान प्राप्त है। प्रशांत को 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन मिला।
प्रशांत बालकृष्णन एक कैट A उड़ान प्रशिक्षक और टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग 3,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने भी Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, हॉक, डॉर्नियर, और An-32 जैसे कई विमान उड़ाए हैं। वह यूनाइटेड स्टेट्स स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र और डीएसएससी, वेलिंगटन और एफआईएस, तांबरम में डीएस भी हैं। प्रशांत ने Su-30 स्क्वाड्रन की कमान संभाली है, जो भारतीय वायुसेना के प्रमुख लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से एक है।
शुभांशु का अंतरिक्ष में योगदान
शुभांशु शुक्ला का चयन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ISRO और अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस इंक के सहयोग से होने वाला यह मिशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत करेगा। इस मिशन से अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसरों और उपलब्धियों की शुरुआत होगी।
शुभांशु शुक्ला का नाम भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में दर्ज होगा। उनके इस मिशन से न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गर्व होगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा भी देगा। शुभांशु के इस अद्वितीय प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनने के लिए प्रतिबद्ध है।