नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत प्रशांत द्वीप समूह के विकास के प्रयासों का समर्थन करना अपनी जिम्मेदारी मानता है. उन्होंने कहा कि प्रशांत क्षेत्र के द्वीप छोटे द्वीप नहीं हैं, बल्कि बड़े महासागरीय देश हैं और भारत को उनका भागीदार बनने का अवसर मिला है. विदेश मंत्री ने कहा कि हम सतत विकास की तलाश में प्रशांत द्वीप समूह का समर्थन करना अपनी जिम्मेदारी मानते हैं. जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा आम चुनौतियां हैं, जिनसे हमें मिलकर निपटने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि भारत अपने हिंद-प्रशांत साझेदारों के साथ और अधिक काम करने के लिए हमेशा तैयार है. विदेश मंत्री ने यह बात डिजिटल माध्यम से हुए एक कार्यक्रम में कही हैं. इस कार्यक्रम में भारत ने मार्शल द्वीप में चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इन परियोजनाओं में ऐलुक एटोल में एक सामुदायिक खेल केंद्र, मेजित द्वीप पर हवाई अड्डा टर्मिनल, अर्नो और वोट्जे एटोल में सामुदायिक केंद्र शामिल हैं. ये निश्चित रूप से मार्शल द्वीप के लोगों को बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत और मार्शल द्वीप गणराज्य के बीच मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का एक लंबा इतिहास है. पिछले कुछ वर्षों में भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) के तत्वाधान में विस्तार हुआ है.
विदेश मंत्री ने कहा कि मैं उन्हें हासिल करने की दिशा में प्रगति देखकर खुश हूं. हम मार्शल द्वीप गणराज्य के लिए विलवणीकरण (पानी से नमक और अन्य खनिजों को अलग करने वाली) इकाइयों और डायलिसिस मशीनों के संबंध में प्रस्तावों पर भी काम कर रहे हैं. भारत प्रशांत द्वीप देशों की प्राथमिकताओं और जरूरतों को पहचानता है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल और संबंधित बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता और सस्ती दवाएं, अच्छी जीवन शैली, उत्कृष्टता केंद्र, शिक्षा और क्षमता निर्माण, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र का विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ जल सुविधाएं – ये सभी हमारे सहयोग के कुछ मुख्य क्षेत्र हैं.
इनपुट- एजेंसी