भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे। इस बात की पुष्टि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने की है।
2008 में मुंबई आतंकी हमलों के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी, जिसके बाद से भारतीय नेताओं के पाकिस्तान दौरे दुर्लभ हो गए हैं। इससे पहले, 2016 में राजनाथ सिंह सार्क की बैठक में शामिल होने पाकिस्तान गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2015 में पाकिस्तान गए थे।
आखिरी बार सुषमा स्वराज ने किया था दौरा
2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ‘हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस’ में हिस्सा लेने इस्लामाबाद पहुंची थीं। इसके बाद उरी और पुलवामा हमलों, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और सीमा पर तनाव के चलते दोनों देशों के रिश्तों में सुधार नहीं हो पाया।
क्या रिश्तों में आएगा कोई बदलाव?
जयशंकर की इस यात्रा के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कोई सुधार होगा? या यह दौरा सिर्फ एससीओ बैठक तक ही सीमित रहेगा, जैसा कि 2023 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा के बाद हुआ था।
‘दौरे का मकसद केवल एससीओ मीटिंग’
विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि यह यात्रा केवल एससीओ बैठक के लिए है और इसे द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने भी इसे एक बहुपक्षीय मीटिंग तक ही सीमित बताया है, जिसमें किसी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना कम है।