नई दिल्ली। भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थक समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया है. केंद्र सरकार ने सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को UAPA के तहत अगले पांच सालों के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला किया है.
अधिकारियों के मुताबिक, यह फैसला राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए की ओर से की गई जांच में मिले नए सबूतों के आधार पर लिया गया है. ये सबूत एसएफजे और उसके संरक्षक गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ जुटाए गए हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सिख्स फॉर जस्टिस और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज कर रखे हैं. पिछले साल एजेंसी ने पंजाब और चंडीगढ़ में उसकी संपत्तियों को भी अपने कब्जे में ले लिया था. इससे पहले भारत सरकार ने 2019 में सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगाया था. अब अगले 5 साल तक गृह मंत्रालय ने और प्रतिबंध बढ़ाया है.
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि एसएफजे भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में लिप्त रहा है. मंत्रालय ने कहा कि एसएफजे की गतिविधियों में देश की शांति, एकता और अखंडता को बाधित करने की क्षमता है.
एसएफजे पर आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संपर्क में रहने और भारत संघ के क्षेत्र से एक संप्रभु खालिस्तान बनाने के लिए पंजाब और अन्य जगहों पर उग्रवाद और हिंसा का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है. मंत्रालय ने आरोप लगाया कि खालिस्तान समर्थक संगठन भारतीय भूभाग के एक हिस्से को भारत से अलग करने की गतिविधियों को प्रोत्साहित और सहायता कर रहा है.
गुरपतवंत सिंह पन्नू को 2020 में केंद्र द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था. वह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापकों में से एक है और अमेरिका, कनाडा और यूके में सिखों के लिए एक अलग राज्य, जिसे वे खालिस्तान कहते हैं, की सक्रिय रूप से पैरवी करता है.