देहरादून। उत्तराखंड के पटेलनगर क्षेत्र में नाबालिक बच्ची के अपहरण का खुलासा करते हुए पुलिस ने बताया कि बच्ची का अपहरण हुआ ही नही था। दरअसल बच्ची ने ही अपने माता पिता से अपनी बात मनवाने के लिए खुद ही अपने अपहरण की साजिश रची थी। लेकिन इस मामले की जानकारी होते ही कुछ असामाजिक तत्वो ने इस घटना को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास किया। पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों ने बिना सच्चाई जाने इस घटना को विवादास्पद बनाकर सांप्रदायिक रूप दे दिया और लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने का प्रयास किया। एसएसपी देहरादून ने कहा कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ जल्द ही प्रभावी कार्रवाई की जायेगी।
क्या है मामला
दरअसल 15 अप्रैल को कोतवाली पटेलनगर को सूचना मिली की चमन विहार कालोनी में एक नाबालिक युवती के अपहरण का प्रयास किया गया है। सूचना मिलते ही तत्काल क्षेत्राधिकारी सदर और प्रभारी निरीक्षक पटेलनगर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँचे। घटना के सम्बंध में नाबालिक युवती से जानकारी ली तो युवती ने बताया कि शाम करीब 07 बजे टयूशन से घर आते समय कार सवार 2 लोगों ने उसे खींचकर जबरदस्ती अपनी कार में बैठा लिया लेकिन वहां मौका देखकर वह किसी तरह कार से बाहर निकलकर भाग कर वापस घर आ गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो उन्हें कोई अहम सूराग नही मिला यहां की पुलिस ने युवती के बताए हुए घटनास्थल और अन्य मार्गो के सीसीटीवी कैमरे चैक किये लेकिन वहां सीसीटीवी फुटेज में ऐसी किसी घटना का होना नही पाया गया। जिसके बाद पुलिस ने शक के आधार पर जब नाबालिग युवती की काउंसलिंग की तो मामला कुछ और ही निकला।
दरअसल काउंसलिंग के दौरान नाबालिग ने बताया कि वह इसके पहले ओलम्पस हाईस्कूल में पढ़ती थी लेकिन अब उसके परिजनो ने उसका दाखिला मांउट लिट्रेला जी स्कूल में करा दिया है। लेकिन जब वह 15 अप्रैल को पहली बार अपने नए स्कूल में गई थी तो वहां उसका कोई नया मित्र नही बना और उसका स्कूल में मन नही लगा।
इसलिए उसने अपने पुराने स्कूल में दोबारा दाखिले के लिये यह साजिश रची और अपने परिजनो को स्कूल के पास टयूशन से आते समय 02 व्यक्तियों द्वारा कार से उसका अपहरण करने और मौका पाकर भाग जाने की झूठी कहानी बताई।