नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर छत्तीसगढ़ के नक्सली हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की। इनमें बस्तर शांति समिति के तत्वाधान में वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित इलाकों से आए 55 लोग शामिल थे। इस दौरान, बस्तर शांति समिति ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से पीड़ित लोगों की व्यथा को दर्शाने वाली एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई।
नक्सली हिंसा के खिलाफ कटिबद्धता
शाह ने नक्सली हिंसा से पीड़ित लोगों की व्यथा सुनने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की सख्त नीतियों के चलते वामपंथी उग्रवाद अब छत्तीसगढ़ के बस्तर के कुछ जिलों तक ही सीमित रह गया है। शाह ने इसे देश की आंतरिक सुरक्षा और मानवता के लिए बड़ा खतरा बताया।
विकास योजनाओं से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव
गृह मंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों के माध्यम से सरकार ने यह संदेश दिया है कि “मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि नक्सलियों के मानवाधिकार का पक्ष लेने वालों को पहले पीड़ितों के मानवाधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए।
वामपंथी उग्रवाद समाप्त करने का लक्ष्य
शाह ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार अगले तीन महीनों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों के समग्र विकास के लिए एक योजना लाएगी। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सहित देशभर में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों को चिकित्सा, रोजगार और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ मिलेंगे।
नक्सलियों से हिंसा छोड़ने की अपील
गृह मंत्री ने वामपंथी उग्रवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की। उन्होंने विश्वास जताया कि 2026 तक नक्सलवाद के समूल खात्मे के बाद बस्तर फिर से सुंदर, शांतिपूर्ण और विकसित क्षेत्र बनेगा।