मथुरा( सतीश मुखिया): भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा तीनों लोक से न्यारी है और यहां की जनता भी तीन लोक से अलग हैं। अभी तक आपने किराए पर गाड़ी, किराए पर घर और किराए पर ऑफिस लेकिन नगर निगम मथुरा वृंदावन में आपको मिलेंगे” किराए पर कर्मचारी”
इसका उदाहरण आपको नगर निगम मथुरा वृंदावन में देखने को मिलेगा, वर्ष 2017 में नगर पालिका से नगर निगम बनने के बाद मथुरा शहर की सीमाएं बढ़ गई नगर निगम में 70 वार्ड है।जिस कारण शहरीकरण बढ़ गया है और आम जनता की उम्मीद बहुत अधिक है। नगर निगम मथुरा वृंदावन का वैसे तो मुख्य कार्य शहर में साफ सफाई कराना ,नालियों से गंदगी को निकालना और कूड़े करकट को इकट्ठा करके प्लांट में भेजना है लेकिन नगर निगम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में बैठे हुए एक कर्मचारी ने पूरे नगर निगम के अंदर अपना वर्चस्व बनाया हुआ है और पूरे निगम को अपनी उंगलियों पर नचा रहा है। यह अपने आप को किसी मोगैंबो से कम नहीं समझता और निगम का कोई भी काम करने का यह खुलेआम ठेका लेता है जैसे कि हस्तांतरण करवाना, घर बैठे हाजरी लगवाना , नौकरी लगवाना आदि।
अब सवाल यह उठता है क्या जिम्मेदार अधिकारियों को यह सब पता नहीं है या यह लोग जानबूझकर इन सब कार्यों को नजर अंदाज कर रहे हैं और भ्रष्टाचारी रूपी मिठाई में से अपना हिस्सा मिलने के कारण चुप बैठे हुए हैं। यह सवाल विचारणीय है कि कैसे एक डूडा कर्मचारी इतना मजबूत हो गया कि वह निगम के अंदर अधिकारियों के अधीन कोई भी कार्य खुले आम कर रहा है और कोई भी चूं तक आवाज नहीं उठा रहा है। यह कर्मचारी भ्रष्टाचार की दीमक से निगम की दीवारों को खोखला कर रहा है। एक तरफ नगर निगम पाई पाई जोड़कर निगम का राजस्व बढ़ाने के लिए दम लगा रहा है वहीं यह कर्मचारी अपने रिश्तेदारों के बड़े बिलों को दबाकर बैठा हुआ है और उन फाइलों को आगे बढ़ने नहीं देता है जहां एक तरफ कर्मचारी घरों से ₹50 की रसीद काटने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं वहीं दूसरी तरफ यह 50-50 हजार के नोटिसों को दबाकर बैठ गया है और बार-बार रिमाइंडर देने के बाद भी उन नोटिसों को वसूलने में अपना हस्तक्षेप कर रहा है, क्या यह सरकारी कार्य में बाधा नहीं है क्या नगर आयुक्त इसके ऊपर कोई कार्रवाई करेंगे यह देखने योग्य होगा। श्री शशांक चौधरी नगर आयुक्त नगर निगम मथुरा वृंदावन के द्वारा राजस्व बढ़ोतरी के विभिन्न प्रयास किया जा रहे हैं और उनके नेतृत्व में मथुरा विकास की ओर अग्रसर है लेकिन कूड़ा संग्रह का कार्य और कूड़े से राजस्व वसूलने का कार्य निगम ने अपनी स्थाई कर्मचारियों को दे रखा है लेकिन इसमें भी झोल है कि इन कर्मचारियों ने अपने स्थान पर “किराए पर कर्मचारी” रखे हुए हैं।
निगम के स्थाई कर्मचारी अपने घरों में आंख बंद करके चद्दर ओढ़ कर मजे से सो रहे हैं और उनके द्वारा अपने स्थान पर छदम रूप से रखे गए लोगों के द्वारा पूर्ण कूड़ा संग्रह के कर को वसूलवाया जा रहा है। क्या यह सब नगर निगम की संज्ञान में नहीं है या जानबूझकर इन सब चीजों को अनदेखा किया जा रहा है। इस कूड़ा संग्रह के कर में भी बड़ा ही अलग खेल चल रहा है जिसको नगर निगम में डूडा से नियुक्त कर्मचारी खुले आम चला रहे हैं और राजस्व से अपने घरों को भर रही है। आप कहेंगे कैसे भर रहे हैं तो यह बड़ा विचारणीय है कि कैसे निगम का स्थाई कर्मचारी अपने स्थान पर दूसरे कर्मचारियों से कार्य कर रहा है यह सरासर उत्तर प्रदेश सरकार को धोखा दिया जा रहा है और जनता की आंखों में धूल झोंक कर यह कर्मचारी काम कर रहे हैं।