हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का खाता भी नहीं खुल सका, जिससे पार्टी प्रमुख मायावती जाट समुदाय के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रही हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि हरियाणा में जाट समुदाय ने विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को वोट नहीं दिया और इसे लेकर उन्हें खेद है। मायावती का मानना है कि जाटों की मानसिकता में दलितों के प्रति बदलाव लाने की आवश्यकता है।
दिल्ली में पार्टी के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि मनाने आईं मायावती ने इस बात का अफसोस जताया कि बसपा का इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ गठबंधन उनके लिए लाभदायक साबित नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “जाट समुदाय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने बसपा को नजरअंदाज कर दिया।”
मायावती ने हरियाणा के जाटों की तुलना उत्तर प्रदेश के जाटों से की और कहा कि दलित वोट इनेलो की ओर चले गए, जबकि जाट वोट उनकी पार्टी को नहीं मिले। उन्होंने कहा, “अगर हमें दो से तीन प्रतिशत जाट वोट मिल जाते, तो हम कुछ सीटें जीत सकते थे।”
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो ने दो सीटें जीतीं, जबकि बसपा को एक भी सीट नहीं मिली। इसके विपरीत, भाजपा ने 48 सीटें जीतकर अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हासिल की। मायावती ने कहा कि भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर के बावजूद अपने शासन को बनाए रखा और कांग्रेस की वापसी की कोशिशों को विफल कर दिया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए मायावती ने उम्मीद जताई कि उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष फरवरी में होने वाले चुनावों में सत्तारूढ़ आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बसपा को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करेगा।
मायावती ने यह भी स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश के बाहर बसपा को प्रत्यक्ष मुकाबलों में नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी अगले महीने महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले चुनावों में भी भाग लेगी।