नई दिल्ली। दो मिनट में मैगी परोसनी वाली कंपनी ‘नेस्ले’ की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, स्विट्जरलैंड की पब्लिक आई कंपनी ने अपनी एक रिपोर्ट के जरिए नेस्ले के दो सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में बड़ी मात्रा में एडेड शुगर या अतिरिक्त चीनी मिली होने का खुलासा किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों के प्रोडक्ट्स में चीनी को डालना खतरनाक और गैरजरूरी काम है, क्योंकि इससे बच्चों को चीनी खाने की आदत लग सकती है। हालांकि अब इस मामले में केंद्र सरकार ने कंपनी के खिलाफ भारत में शिशु खाद्य उत्पादों में चीनी मिलाने से जुड़ी रिपोर्ट्स पर संज्ञान लिया है।
जानकारी के मुताबिक, भारत का खाद्य नियामक एफएसएसएआई ‘पब्लिक आई’ की रिपोर्ट की जांच कर रहा है। पूरी जांच करने के बाद इसे वैज्ञानिक पैनल के सामने रखा जाएगा और फिर नेस्ले कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। मामले को लेकर नेस्ले का कहना है कि, ‘वह बच्चों के लिए अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता बनाए रखते हैं और हमेशा उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करने को प्राथमिकता देते है।’ लेकिन स्विस जांच संगठन पब्लिक आई ने बताया है कि डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा शिशु खाद्य उत्पादों में अतिरिक्त चीनी पर प्रतिबंध लगाने के कड़े दिशानिर्देशों के बावजूद, नेस्ले भारत में सेरेलक जैसे उत्पादों में चीनी मिलाती है।
बता दें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइडलाइंस कहती है कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों के खाने के प्रोडक्ट में किसी भी प्रकार की शुगर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चों के अंदर मोटापे और गंभीर बीमारियों की समस्या पैदा हो सकती है।
स्विस जांच संगठन पब्लिक आई की रिपोर्ट से ये पता चला है कि सबसे ज्यादा शुगर फिलीपींस के प्रोडक्ट में मिली है। यहां 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर पाई गई है, जोकि बच्चों के हिसाब काफी ज्यादा है। वहीं नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर फूड्स प्रोडक्ट में मिली है। बता दें इस रिपोर्ट में 15 में से 8 देशों के प्रोडक्ट में शुगर लेवल की जानकारी दी गई है, वहीं 7 देशों की कोई जानकारी नहीं दी गई है।