कानून के शासन में नागरिकों का विश्वास मजबूत करने में फोरेंसिक विज्ञान महत्वपूर्ण है: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज न्याय प्रणाली में फोरेंसिक विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “फोरेंसिक विज्ञान अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का एक साधन मात्र नहीं है; बल्कि यह बेगुनाही स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो समाज निर्दोष व्यक्ति की पुकार नहीं सुन पाता, उसका पतन निश्चित है।

फोरेंसिक विज्ञान को न्याय की आधारशिला बताते हुए   धनखड़ ने कहा, “फोरेंसिक विज्ञान केवल एक तकनीक नहीं है, यह न्याय की आधारशिला है। यह सुनिश्चित करता है कि साक्ष्य राय से ज़्यादा प्रभावी हैं और तथ्य अटकलों पर विजय प्राप्त करते हैं।”

राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के संकाय और छात्रों को संबोधित करते हुए  धनखड़ ने न्याय की त्रुटियों को रोकने में फोरेंसिक विज्ञान की अपरिहार्यता पर प्रकाश डाला और कहा कि यह सुनिश्चित करता है कि दोषियों को दंड मिले, और निर्दोषों की रक्षा की जाए।

उन्होंने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान कानून के शासन में नागरिकों के विश्वास को मजबूत करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि न्याय में चूक समाज के लिए निराशाजनक है और इसे केवल फोरेंसिक विज्ञान के अनुप्रयोग के माध्यम से ही टाला जा सकता है।

फोरेंसिक विज्ञान को एक बहुआयामी विषय मानते हुए  धनखड़ ने कहा कि यह हमारी दुनिया के रहस्यों को उजागर करने, हमारे समुदायों की सुरक्षा करने तथा हमारे राष्ट्र के विकास की दिशा तय करने की कुंजी है।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी क्षरण जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में फोरेंसिक विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए इस ग्रह की सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए इसके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया।

इस अवसर पर गुजरात के य राज्यपाल  आचार्य देवव्रत, गुजरात सरकार के प्रोटोकॉल राज्य मंत्री   जगदीश विश्वकर्मा, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जेएम व्यास, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

 

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