कर्नाटक के संत कुमार चंद्रशेखरनाथ के खिलाफ विवादित टिप्पणी पर एफआईआर दर्ज

FIR filed against Karnataka saint Kumar Chandrashekharnath for controversial remarks

कर्नाटक: कर्नाटक के प्रसिद्ध संत कुमार चंद्रशेखरनाथ की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुसलमानों को लेकर उनकी एक विवादित टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। संत चंद्रशेखरनाथ ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा था, “मुसलमानों को मतदान का अधिकार नहीं होना चाहिए,” जिसके बाद कर्नाटक और देशभर में मुस्लिम समाज ने इसका विरोध किया।

संत कुमार चंद्रशेखरनाथ विश्व वोक्कालिगा महासमस्ताना मठ के प्रमुख हैं, और उनकी यह टिप्पणी विवादों में घिर गई है। पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है और यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 299 के तहत दर्ज किया गया है, जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित है।

विवादित टिप्पणी और कानूनी कार्रवाई
संत कुमार चंद्रशेखरनाथ ने कर्नाटक वक्फ बोर्ड के नोटिस के खिलाफ भारतीय किसान संघ द्वारा आयोजित एक सभा में यह टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों से उनकी मतदान शक्ति छीनने के लिए एक नया कानून लाया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड को समाप्त किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी वक्फ बोर्ड किसी की जमीन पर दावा न करे।

संत चंद्रशेखरनाथ ने अपनी टिप्पणी के बाद बयान दिया कि किसानों की जमीन की रक्षा के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि “किसी और की जमीन छीनना धर्म नहीं है।” इस टिप्पणी को लेकर मुस्लिम समुदाय ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की, और संत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

संत का खेद और बयान
संत चंद्रशेखरनाथ ने बुधवार को अपने बयान पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी जुबान फिसल गई थी और वह ऐसा नहीं कहना चाहते थे। हालांकि, इस खेद के बावजूद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि एक सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर उप्परपेट पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि संत चंद्रशेखरनाथ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 299 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के लिए है, जिसका उद्देश्य किसी धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना और धार्मिक भावनाओं को आहत करना है।

इस घटनाक्रम ने कर्नाटक और देशभर में राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है, और अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

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