जैसलमेर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को जैसलमेर में बीएसएफ सैनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जवानों से कहा कि आपके बीच आकर मुझे नई ऊर्जा का अनुभव हो रहा है और यह पल मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा।
अपने विद्यार्थी जीवन को याद करते हुए धनखड़ ने कहा, “मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ का छात्र रहा हूं। मैंने कक्षा 5 में वर्दी पहनी थी। मैं वर्दी की ताकत और महत्व जानता हूं। मैंने बचपन में देखा है कि कैसे एक वर्दी अचानक आपको बदल देती है।”
सीमा सुरक्षा बल के जवानों की लगन की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं आपको देखकर अभिभूत हूं! देश की प्रथम रक्षा पंक्ति – सीमा सुरक्षा बल अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रहा है। आपका कार्य अत्यंत प्रशंसनीय और सराहनीय है।”
गौरतलब है कि गुरूवार शाम उपराष्ट्रपति ने जैसलमेर में बीएसएफ की बावलियांवाला सीमा चौकी का दौरा किया और वहां तैनात जवानों से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने ‘तनोट विजय स्तम्भ’ पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से अमर शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
कठिन परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे बीएसएफ जवानों की वीरता की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा कि ऐसी भीषण गर्मी में कुछ मिनट भी खड़ा रहना कठिन है। चारों ओर का वातावरण चुनौतीपूर्ण है और सीमा पर आपको पलक झपकने का भी समय नहीं मिलता।
उन्होंने आगे कहा कि हिमालय की ऊंची पहाड़ियों, थार के तपते रेगिस्तान, पूर्वोत्तर के घने जंगलों और दलदली रण क्रीक में बीएसएफ जवानों की सतर्कता बेमिसाल है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के जवान अपने आदर्श वाक्य “आजीवन कर्तव्य” को हर पल निभा रहे हैं।
अपने परिवारों के बलिदान को याद करते हुए धनखड़ ने कहा, “आज मैं उन माताओं को नमन करता हूं जिन्होंने आप जैसे वीर सपूतों और वीर नारियों को जन्म दिया और उन्हें राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया। रक्षा बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर भारत की बदलती तस्वीर देखी, जहां हमारी बेटियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया! यहां उनकी भागीदारी देखकर मुझे बहुत खुशी हुई।
राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए धनखड़ ने कहा, “मैं उन प्रहरियों को नमन करता हूं जो आज हमारे बीच नहीं हैं, जो मां भारती की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर अमर हो गए। मैं उन वीर जवानों के परिवारों को भी विनम्रतापूर्वक नमन करता हूं।”
रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब कील तक आयात की जाती थी लेकिन अब हम रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं। देश में विमानवाहक पोत विक्रांत बना, देश में फ्रिगेट बने, तेजस बना, मिसाइलें बनीं और यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि आप सीमाओं पर शांति बनाए रखते हैं। उन्होंने बीएसएफ जवानों से कहा कि आप शांति के दूत हैं; आपकी बदौलत भारत दुनिया में शांति का दूत है और यह गर्व की बात है कि बीएसएफ दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल है। और मैं यहां से ऊर्जा से भरकर, नई प्रेरणा लेकर जा रहा हूं।
देश के विकास में बीएसएफ की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप यहां सीमा पर तैनात हैं, जिसके कारण भारतीय सुरक्षित वातावरण में सो पाते हैं और यह आपके धैर्य और पराक्रम का ही परिणाम है कि प्रत्येक भारतीय निडरता और आत्मविश्वास के साथ देश के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने देश के दुश्मनों द्वारा घुसपैठ, तस्करी आदि अपराधों के माध्यम से सीमा क्षेत्रों को अस्थिर करने के प्रयासों को प्रभावी ढंग से विफल करने के लिए सीमा सुरक्षा बल की प्रशंसा की। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का भी आह्वान किया।
इस अवसर पर बीएसएफ के महानिदेशक डॉ. नितिन अग्रवाल, बीएसएफ पश्चिमी कमान के एसडीजी श्री वाई बी खुरानिया, जैसलमेर बीएसएफ के उप महानिरीक्षक श्री विक्रम कुंवर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।