संजीव ठाकुर
हर तरह के एक सूखे और अन्य नशे से न सिर्फ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक संरचना कमजोर होती है, बल्कि परिवार, समाज और देश के आर्थिक तंत्र पर बड़ी चोट लगती है। वैश्विक स्तर पर माना जाता है कि विश्व का हर चौथा युवा नशे की गिरफ्त में है। भारत युवा शक्ति का देश है और भारत को नशे की गिरफ्त से बचा कर एक ऊर्जावान युवा शक्ति का बड़ा केंद्र बनाना ही हमारी सार्थकता होगी। विव्यापी नशे की व्यापकता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा ने 7 दिसम्बर, 1987 को एक प्रस्ताव पारित कर हर वर्ष 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा एवं मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाने का निर्णय लिया था। यह एक तरफ लोगों को नशे के प्रति चेतना फैलाता है, वहीं नशे की गिरफ्त में आए लोगों के उपचार की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम भी उठाता है। मादक पदाथरे के नशे की लत युवाओं में तेजी से फैल रही है।
कई बार फैशन की खातिर दोस्तों के कहने पर लिए गए मादक पदार्थ अक्सर युवाओं के लिए जानलेवा साबित होते हैं। युवा तो युवा बच्चे भी फेविकोल, तरल इरेजर, पेट्रोल की गंध और स्वाद के प्रति आकर्षित होते हैं, और कई बार कम उम्र के बच्चे आयोडेक्स, वोलीनी जैसी दवाओं को सूघ कर नशे का आनंद लेते हैं। तंबाकू, सिगरेट, गांजा, कोकीन, चरस, स्मैक, भांग जैसी नशीली वस्तुओं का युवा सेवन कर अपनी जिंदगी से खेलने में लगे हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाने के साथ-साथ मादक पदाथरे से मुकाबले के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाए गए कदमों तथा इसके मार्ग में उत्पन्न चुनौतियों तथा निवारण का सही- सही उपचार भी बताता है। भारत में शराब सेवन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। मद्यपान के कारण 1500 से दो हजार भारतीय शराब के नशे में प्रति वर्ष मर जाते हैं। आज हर 20 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति शराबखोर है। पुरु ष तो पुरु ष महिलाएं भी मद्यपान की ओर आकर्षित हो रही हैं। विशेषकर उच्च तथा मध्यमवर्गीय परिवारों में महिलाएं शराब का सेवन करने लगी हैं। महानगरों में बड़े शहरों की कामकाजी महिलाओं के छात्रावासों तथा हॉस्टल में महिलाओं का शराब का सेवन तेजी से बढ़ते जा रहा है।
एक सर्वे के अनुसार करीब 20 से 25त्न महिलाएं शराबखोरी की गिरफ्त में आ चुकी हैं। यूरोपियन देशों में महिलाओं की नशाखोरी की आदत का प्रतिशत 60त्न से ऊपर है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बैठकों, सेमिनार तथा मीटिंग में शराब का सेवन आम बात बन गई है। यह एक फैशन की तरह महिलाओं के मध्य फैल कर उन्हें नशे की लत में डुबोने लगा है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार नशा मनुष्य के जीवन के लिए जहर जैसा है, नशे की लत में वैवाहिक जीवन भी टूटने के कगार पर आ जाता है।
मनुष्य के शरीर का लीवर, किडनी तथा अन्य अंग खराब होकर मृत्यु की ओर ले जाने को तत्पर रहते हैं। नशे से दूर रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर भारत में भी अनेक उपाय किए जा रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र तथा नशे के पदाथरे पर चेतावनी आदि लिखने का काम किया जा रहा है। नशा आज युवाओं को पथभ्रष्ट चरित्रहीन और अपराधी बनाने के पीछे एक बड़ा घातक कारण है। नशे की प्रवृत्ति से बचाने के लिए मनुष्य को नशे से हर हाल में दूर रखना होगा अन्यथा आने वाली पीढ़ी राष्ट्रीय चरित्र, राष्ट्रीय सम्मान तथा राष्ट्रीय शक्ति को भूलती जाएगी और नशे की लत में युवा अपने कर्त्तव्य से परे हो जाएगा जो एक बहुत ही खतरनाक स्थिति होगी।