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चुनाव आयोग बताए कि मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ा- कपिल सिब्बल

नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार (24 मई) को ईवीएम मशीनों को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंने हाई कोर्ट से आग्रह करते हुए कहा कि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को ईवीएम के लॉग को करीब 2 से 3 सालों तक सुरक्षित रखने की घोषणा करने का निर्देश देना चाहिए. इसी के साथ नेता ने ये भी आग्रह किया कि मतगणना से पहले हर चरण के मतदान की घोषणा भी की जाए, ताकि कोई भी नेता असंवैधानिक तरीके से न चुना जा सके.

कपिल सिब्बल ने आगे ये भी कहा, कि अगर चुनाव आयोग (ईसीआई) फॉर्म 17 (सी) अपलोड नहीं कर सकता है…तो राज्य निर्वाचन अधिकारी डेटा अपलोड कर सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फॉर्म 17 (सी) में हर बूथ पर कितना मतदान हुआ उसका आंकड़ा दर्ज करता है.

EVM लॉग को सुरक्षित रखा जाना चाहिए
उन्होंने कहा- कि हर मशीन में एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है, जो EVM में भी मौजूद है. ईवीएम के इस लॉग को सुरक्षित रखा जाना चाहिए…क्योंकि ये हमें बताएगा कि मतदान किस समय खत्म हुआ? और इसमें कितने वोट अवैध थे? सिब्बल ने आगे कहा, कि ये हमें इस बात की भी जानकारी देगा कि किस समय मतदान हुआ, किस समय वोट डाले गए इसलिए यह सबूत है जिसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए.

मतगणना से पहले रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाएं
कपिल सिब्बल का कहना है कि आमतौर पर चुनाव आयोग इस डाटा को अपने पास 30 दिनों तक रखता है. क्योंकि यह जरूरी डाटा है जिसे लंबे समय तक चुनाव आयोग को सुरक्षित रखना चाहिए. सिब्बल ने ECI से आग्रह किया है कि वह इन लॉग को सुरक्षित रखने का निर्देश जारी करें और मतगणना से पहले सभी चरणों के रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाएं…जिससे कोई भी सांसद ‘गैरकानूनी तरीके से’ से न चुना जाए.

चुनाव आयोग बताए कि मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ा?
उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- हमें यह भी जानने की जरूरत है कि जब संशोधित आंकड़े दिए गए, तो मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ा? बता दें कि ईसीआई ने हाई कोर्ट से कहा है कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डाटा को ‘बिना सोचे-समझे जारी करने’…और वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, जो इस समय लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में व्यस्त है. आयोग ने आगे कहा- कि मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म- 17 (सी) का विवरण सार्वजनिक नहीं कर सकते, क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है.

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