संविधान हत्या दिवस की चर्चा आपसी विचार भिन्नता में नही आना चाहिए – भास्कर राव रोकड़े

नई दिल्ली। हमारी आपसी विचार भिन्नता विश्व में देश के सम्मान को कम करने का कारण नहीं होना चाहिए। यह कहना है गुरुदेव के संबोधन से विख्यात भास्कर राव रोकड़े का। रोकड़े ने नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पत्रकार वार्ता आयोजित किया। जहां उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” घोषित करना देश के लिए बड़ी भूल होगी।

रोकड़े की माने तो इससे वैश्विक मंच पर भारत की छवि पर विपरीत असर पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय-स्तर पर चर्चा फैल जायेगी कि भारत मरे हुए संविधान के सहारे चल रहा है। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को देश मे आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की आशंका को देखते हुए संविधान के अनुच्छेद 352 के प्रावधानों के तहत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया था।

आज भी यह प्रचारित किया जाता है कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक भारत मे निरंकुश प्रणाली से शासन चलता रहा तथा आंतरिक व्यवस्था व सुरक्षा के नाम पर इंदिरा गांधी के विरोधियों को जेल में डाल दिया गया। उनका तर्क है कि “संविधान हत्या दिवस” से विश्व के तमाम प्रतिक्रियावादी देश यह प्रचारित करने से नहीं चूकेंगे कि भारत बिना संविधान के चल रहा है। इस पर सोचा जाना चाहिए।

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