दिल्ली। चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी, 2025 तक है। मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कार्यकाल का भी यह अंतिम चुनाव होगा। वह अगले साल 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं। इसे देखते हुए सूत्रों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 18 फरवरी से पहले ही कराए जा सकते हैं।
1952 से लेकर अब तक दिल्ली में 7 मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सबसे ज्यादा समय तक दिल्ली का मुख्यमंत्री बने रहने का खिताब शीला दीक्षित के नाम है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकाल के बाद 28 दिसंबर 2013 – 14 फरवरी 2014 (49 दिन) तक अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहने के बाद करीब एक साल तक राष्ट्रपति शासन भी लगा। इसके पश्चात 14 फरवरी 2015 से अभी तक दिल्ली पर आप पार्टी का ही कब्जा है। हाल ही में आप पार्टी के मुखीया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने व जेल जाने के बाद आतिशि को दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया जो वर्तमान में दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस और आप पार्टी इंडी गठबंधन का हिस्सा होते हुए भी अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा व जमीन को बचाने के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में सारी सीमाएं लांघ जाते है। आप पार्टी अपने सभी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। आप पार्टी ने 4 चरणों में कुल 70 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इस लिस्ट में कई की सीटें भी बदली गई हैं। आप ने पहली सूची में 11, दूसरी में 20, तीसरी में 1 और चौथी लिस्ट में कुल 38 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। पहली लिस्ट 21 नवंबर को आई थी, जिसमें 11 उम्मीदवारों के नाम थे। इसमें भाजपा-कांग्रेस से आए 6 लोगों को टिकट दिया गया है। इनमें भाजपा के 3 और कांग्रेस के 3 चेहरे शामिल हैं।
20 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की गई इसमें 17 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं। 3 प्रत्याशियों की सीट बदली गई है। मनीष सिसोदिया को जंगपुरा से, राखी बिड़लान को मादीपुर सीट दी गई है। हाल ही में शामिल हुए अवध ओझा पटपड़गंज से चुनाव लड़ेंगें। आप पार्टी द्वारा बहुत से वर्तमान विधायकों के नाम कटने से सभी असंतुष्ट विधायक आप पार्टी के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं।
दिल्ली में चुनावों के आगाज के साथ ही लोक लुभावन वादों की बाढ़ सी आ गई है। केजरीवाल के फ्री बिजली, पानी व लोकल डीटीसी की बसों में महीलाओं की बिना टिकट यात्रा ने जहां दिल्लीवासियों के अंदर की लालच को जगा दिया था वहीं हाल ही में आटो ड्राइवरों को पांच तरह की सुविधाओं का वादा व हर महिला को हरियाणा व महाराष्ट्र की तर्ज पर 2100/- रूपए महीना देने के वादे ने दिल्लीवासियों के अंदर पहले से पनप रहे लालच को हवा देने काम किया है। यही कारण है कि दिल्ली की खस्ता हालत , केजरीवाल सरकार में हुए भ्रष्टाचार व शराब घोटाले का असर शायद ही मतदाताओं को प्रभावित कर पाएगी।
अभी हाल ही में अमित शाह द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर के ऊपर की गई टिप्पणी को केजरीवाल ने चुनावी मुद्दा बनाते हुए दलित छात्रों को स्कालरशिप व दलित बच्चों के पढ़ाई के खर्चे को सरकार द्वारा उठाए जाने का वादा करने के साथ ही पूर्वांचली , बंगलादेशी व रोहिंग्या वोटरों के वोटर लिस्ट से नाम कटने का मुद्दा भी जोर शोर से उठाना शुरू कर दिया है।
दिल्ली में 2025 का विधानसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प रहने वाला है। वर्ष 1998 से अभी तक बीजेपी दिल्ली की सत्ता से बाहर ही रही है। विगत कई वर्षों से दिल्ली में विधानसभा की चुनावी लड़ाई आप और कांग्रेस के बीच ही थी परन्तु 2025 के चुनावी समीकरण बदल गए हैं जिसके फलस्वरूप इस बार का चुनावी मुकाबला केवल बीजेपी और आप पार्टी के बीच ही रहने वाला है।आम आदमी पार्टी की आटो चालकों के लिए पांच सुविधाएं देने की गारंटी के तर्ज पर बीजेपी ने भी आटो चालको को सात सुविधाएं देने की गारंटी की बात कही है।
आप पार्टी के इंडी गठबंधन की सहयोगी होने के कारण मतदाताओं की सोच में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। बीजेपी के नारे बटोगे तो कटोगे और एक रहेंगे तो नेक रहेंगे ने भारतीय मतदाताओं को इस बात का एहसास दिला दिया है कि जात पात में बंटे रहने से अपना ही नुकसान है। बंगलादेश में वर्तमान में जो हिन्दूओं के साथ हो रहा है वह इन सलोगन के अर्थ को चरितार्थ करती है। भीड़ तंत्र के एजेंडे पर मुस्लिम पार्टियों के व्यवहार ने भी हिन्दूओं को एकजुट होने पर मजबूर कर दिया है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ का मुकाबला करने के लिए बीजेपी महाराष्ट्र की ‘लाडकी बहन’ और मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना’ जैसी योजना लाना चाहती है। बीजेपी का पूरा फोकस आप पार्टी के चुनावी जीत के रथ को रोकने पर है यही कारण है कि बीजेपी टिकटों के बटवारे को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। गौरतलब है कि भाजपा चुनाव समिति द्वारा सभी से परामर्श के बाद ही दिल्ली बीजेपी मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी।
मतदाताओं को एक बात को समझना होगा कि दिल्ली में बिजली, पानी, अस्पतालों में फ्री दवाई व आटो चालकों को पांच फ्री सुविधाएं देने के अलावा महिलाओं को 2100/- रूपए देने के वादे के बावजूद केजरीवाल द्वारा अपने लिए करोड़ों का शिशमहल बनवाना दर्शाता है भाजपा काम नहीं करने देती यह तो सिर्फ़ बहाना है। केजरीवाल के शिशमहल बनवाने के समय उनकी फाईलों को पंख लग गए कहीं कोई बाधा नहीं आई । मतदाताओं को भी पता है कि नेताओं के राजनीति में आने का मूल कारण जनता के टैक्स व केंद्रीय सरकार द्वारा दिए गए अनुदान के पैसों से अपनी जेब भरना व अपनी सुख सुविधाओं के साधन जुटाना मात्र है।
यही कारण है कि पहले शराब घोटाला और अब अधिक से अधिक पंजाब से लाई गई शराब दिल्ली में बेचकर बिक्री की सारी कमाई दिल्ली के चुनाव को जीतने में खपा देना ही आप पार्टी का मकसद है। गौरतलब है कि जनता भी कुछ फ्री की सुविधाओं के लालच में विकास कार्यों की अनदेखी कर आंखें मूंदे बैठी है। यही कारण है कि यदि बीजेपी को दिल्ली के सिंहासन पर काबिज होना है तो उन्हें भी दिल्लीवासियों की मूलभूत सुविधाओं में रियायत देनी होगी फिर चाहे वो बिजली , पानी , छात्रों की फीस या सिनियर सिटीजन व महिलाओं को फ्री ट्रांसपोर्ट की सुविधा ही क्यों न उपलब्ध करवानी पड़े।
अब तो दिल्लीवासियों को फ्री के सुविधाओं की आदत सी पड़ गई है यही कारण है कि दिल्लीवासियों के लिए दिल्ली में कोई भी विकास कार्य हो या न हो उन्हें फर्क नहीं पड़ता उन्हें सिर्फ फ्री सुविधाओं की वजह से कम बजट में घर आसानी से चलाने से मतलब है। यही कारण है कि आज भी दिल्ली में किसी भी पार्टी पर आप पार्टी भारी पड़ेगी।
अनिल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार