सीएम धामी की पहल, एक होंगे मुंबई में कौथिग का आयोजन करने वाले दोनों धड़े

सीएम धामी की दूरदर्शिता की सराहना, प्रवासी उत्तराखंडियों ने कहा सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम

मुंबई में बसे प्रवासी उत्तराखंडियों ने की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कौथिग मेलों को एकजुट करने की पहल की तारीफ़

देहरादून।  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी संवेदनशीलता और दूरदर्शिता का परिचय देते हुए दोनों मुंबई कौथिग (पारंपरिक मेले) को एक होने का आग्रह किया। यह पहल राज्य के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। कौथिग मेले लोक संस्कृति, भाईचारे और परंपराओं का प्रतीक हैं। लेकिन इन मेलों के बीच बढ़ते विभाजन ने स्थानीय समुदायों के बीच दूरियाँ पैदा कर दी थीं। मुख्यमंत्री धामी ने इसे गंभीरता से लेते हुए दोनों पक्षों से एकजुट होकर मिल-जुलकर कौथिग को आयोजित करने की अपील की।

मुंबई में बसे प्रवासी उत्तराखंडियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कौथिग मेलों को एकजुट करने की पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। प्रवासी उत्तराखंडियों ने इसे राज्य की सांस्कृतिक एकता और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने वाला कदम बताया। मुंबई में रह रहे उत्तराखंड के लोगों का कहना है कि इस पहल से न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य के बाहर बसे प्रवासियों को भी अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलेगा। उनके अनुसार, यह कदम राज्य की परंपराओं और सामाजिक सौहार्द को पुनर्जीवित करने में मील का पत्थर साबित होगा।

मुंबई में उत्तराखंडी सांस्कृतिक संगठनों ने मुख्यमंत्री धामी के इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे दूरदर्शी कदम बताया। उन्होंने कहा कि एकजुट कौथिग का आयोजन न केवल राज्य के भीतर बल्कि प्रवासियों के बीच भी एकता की भावना को मजबूत करेगा। इस पहल ने प्रवासी उत्तराखंडियों में अपने राज्य और संस्कृति के प्रति गर्व का भाव बढ़ाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से राज्य की संस्कृति और विकास के लिए इस तरह के और कदम उठाने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने सभी आयोजकों को समझाया कि इन मेलों का असली उद्देश्य सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को संजोना है। अलग-अलग मेले आयोजित करने से न केवल संसाधनों का बंटवारा होता है, बल्कि आपसी सौहार्द भी प्रभावित होता है। उन्होंने जोर दिया कि एकीकृत कौथिग न केवल राज्य की परंपराओं को उजागर करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एकजुटता का संदेश देगा।

मुख्यमंत्री की इस पहल को जनता और दोनों कौथिग समितियों ने सराहा है। यह कदम उत्तराखंड के सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता को मजबूत करने की दिशा में एक नई शुरुआत है।

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