नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती गांवों के समग्र विकास के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। उन्होंने सीमावर्ती गांवों को “दूरदराज के इलाकों” के बजाय “देश का पहला गांव” करार दिया। सीमावर्ती क्षेत्र विकास सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में हो रहे विकास के परिणामस्वरूप ‘रिवर्स माइग्रेशन’ की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की भू-रणनीतिक स्थिति चुनौतियों से घिरी है, जिनसे निपटने का सबसे प्रभावी तरीका सीमावर्ती इलाकों का विकास है। उन्होंने पिछले 10 वर्षों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा 8,500 किलोमीटर से अधिक सड़कों और 400 स्थायी पुलों के निर्माण की सराहना की। इसके अलावा, अटल सुरंग, सेला सुरंग, और शिकुन-ला सुरंग जैसी प्रमुख परियोजनाओं को सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास में मील का पत्थर बताया।
राजनाथ सिंह ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में इंटरनेट कनेक्टिविटी के सुधार की भी चर्चा की, जहाँ 7,000 से अधिक गांवों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास से सीमावर्ती इलाकों में न केवल त्वरित सैन्य तैनाती सुनिश्चित हुई है, बल्कि नागरिकों के लिए भी बेहतर जीवन स्तर की सुविधा प्रदान की गई है।
उन्होंने पर्यटन को सीमावर्ती इलाकों के विकास का प्रमुख उत्प्रेरक बताया और कहा कि लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में 2020 से 2023 के दौरान 30% अधिक पर्यटकों की वृद्धि हुई है।
रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के हुरी गांव का उल्लेख करते हुए बताया कि नागरिक-सैन्य सहयोग के कारण वहां ‘रिवर्स माइग्रेशन’ हुआ है। उन्होंने ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम की भी सराहना की, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती गांवों को मॉडल गांवों में बदलना है।
इस अवसर पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी सीमावर्ती इलाकों के विकास में सरकार और सेना के योगदान की सराहना की।