नई दिल्ली। मालदीव में संसदीय चुनावों के लिए मतदान पूरे होने के बाद से ही लगातार मतगणना जारी है. पिछले कुछ समय पहले भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आने के बाद से ही लगातार चीन की नजर भी इन चुनावों पर है.वहीं अभी तक जितने भी रुझान आए हैं उससे ये साफ है कि में चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने स्पष्ट बहुमत को हासिल कर सकती है. अभी 90 सीटों में से पीएसी ने 66 सीटों पर अपनी बढ़त बनाई हुई है.
इसके अलावा मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) जिसे भारतीय समर्थक पार्टी भी कहा जाता है वे 12 सीटों पर बढ़त के साथ इस मुकाबले में काफी पीछे चल रही है. वहीं चुनावी रुझान के मुसाबिक 8 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव के चुनाव आयोग ने 86 सीटों के रिजल्ट की घोषणा कर दी है जिसमें राष्ट्रपति मुइज्जू की पीएनसी पार्टी ने 66 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है. ये आंकड़ा बहुमत से कहीं ज्यादा है. इसलिए ये साफ है कि इस बार भी मालदीव में फिर से चीन समर्थक मुइज्जू की पार्टी की सरकार बन रही है. वहीं इस बात से ये भी साफ है कि राष्ट्रपति मुइज्जू की पार्टी के फिर सरकार बनाए जाने के बाद भारत और मालदीव के संबंध पर फिर असर पड़ेगा.
Maldives: President Mohamed Muizzu's ruling PNC secures supermajority in parliamentary elections
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— ANI Digital (@ani_digital) April 22, 2024
राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए क्यों ये चुनावी जीत अहम थी?
मुइज्जू पिछले साल 2023 के सितंबर महीने में मोहम्मद सोलिह को चुनावों में हराकर राष्ट्रपति बने थे. लेकिन संसद में मोहम्मद सोलिह की पार्टी मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) का बहुमत था जिसकी वजह से मुइज्जू के लिए संसद में किसी भी नए विधेयकों को पारित करना बहुत ही ज्यादा असंभव सा था. ऐसे में उनके लिए ये चुनाव जीतना बहुत अहम था ताकि संसद में ज्यादा से ज्यादा उनकी पार्टी का बहुमत रहे.