नई दिल्ली। प्रोबेशनरी IAS अधिकारी पूजा खेडकर (Puja Khedkar) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. पूजा खेडकर पद के कथित दुरुपयोग को लेकर विवादों में घिरी हुई हैं. Zee News ने सूत्रों के हवाले से बताया कि जांच में अगर पूजा दोषी पाई गईं तो उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि अगर तथ्यों को छिपाने और गलत बयानी के आरोप सही पाए गए तो उन पर आपराधिक आरोप भी लग सकते हैं. डीओपीटी के अतिरिक्त सचिव मनोज द्विवेदी ने जांच शुरू कर दी है, जो दो हफ्ते में पूरी हो जाएगी.
क्या है पूरा मामला?
मीडियाकर्मियों से पूछे जाने पर उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों पर चुप्पी साधे रखी और कहा कि वह इस मामले पर बोलने के लिए ‘अधिकृत’ नहीं हैं. पुणे में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात खेडकर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया था. पुणे के कलेक्टर ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव के समक्ष पूजा खेडकर की शिकायत दर्ज कराई थी.
सत्ता के दुरुपयोग का आरोप
यह कार्रवाई तब की गई जब उन्हें अपनी निजी लक्जरी सेडान पर सायरन और ‘महाराष्ट्र सरकार’ के स्टिकर इस्तेमाल करते हुए पाया गया. उन्हें पुणे के अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे की अनुपस्थिति में उनका कार्यालय का उपयोग करते हुए भी पाया गया. उन्होंने कथित तौर पर कार्यालय का फर्नीचर हटा दिया और यहां तक कि लेटरहेड और VIP नंबर प्लेट की मांग भी की. ये सुविधाएं जूनियर अधिकारियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं.
‘पिता ने भी डाला था आरोप’
रिपोर्टों से पता चलता है कि उनके पिता (एक सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी) ने उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव भी डाला था. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की स्थिति के उनके दावे पर भी सवाल उठे हैं. उन्होंने UPSC चयन प्रक्रिया में रियायतें पाने के लिए विकलांगताओं का दावा भी किया था, लेकिन उनकी पुष्टि के लिए जरूरी जांच कराने से इनकार कर दिया था.
इनपुट- एजेंसी