नई दिल्ली। सीबीआई (CBI) ने दावा किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जानबूझकर अब खत्म हो चुकी शराब नीति में बदलाव और हेराफेरी की. इससे थोक विक्रेताओं को गोवा में चुनाव संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की अवैध संतुष्टि के बदले में अप्रत्याशित लाभ हुआ. केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली हाई कोर्ठ में दिए गए अपने हलफनामे में, सीबीआई ने कहा कि आप सुप्रीमो ने बिना किसी तर्क के शराब के थोक विक्रेताओं का लाभ मार्जिन 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया था.
सीबीआई ने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले की साजिश का हिस्सा हैं. दिल्ली सरकार के सभी फैसले उनके निर्देशों के अनुसार ही लिए गए.’ शराब नीति से जुड़े केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही जांच एजेंसी ने उन्हें 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था.
सीबीआई ने दावा किया कि शराब नीति पर दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसौदिया के फैसलों को केजरीवाल की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने पूर्वव्यापी मंजूरी दी थी. जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि मामले के संबंध में पंजाब में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत जांच की अनुमति देने से इनकार करने में केजरीवाल का प्रभाव महत्वपूर्ण था.
सीबीआई ने दावा किया, ‘केजरीवाल का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है. मुख्यमंत्री होने के नाते उनका न केवल दिल्ली सरकार पर प्रभाव है, बल्कि आप से संबंधित किसी भी या सभी प्रासंगिक निर्णयों और गतिविधियों पर भी प्रभाव है.’
सीबीआई ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल की अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ गहरी सांठगांठ थी. इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि आप नेता और केजरीवाल की पत्नी गवाहों को प्रभावित करने और जांच को पटरी से उतारने के लिए झूठी बातें फैला रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि केजरीवाल पूरी जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और टाल-मटोल कर रहे थे. इसमें कहा गया है कि केजरीवाल की जमानत पर रिहाई जांच और आगे की कार्यवाही पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी.