Category: ब्लॉग

अरबपतियों का कसता शिकंजा

ऑक्सफेम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शीर्ष पांच अरबपतियों की संपत्ति 2020 के बाद से दोगुनी हो गई है। यानी जब कोरोना महामारी की मार से आम जन की अर्थव्यवस्था बिगड़ी, इन अरबपतियों के लिए ये आपदा एक बेहतरीन अवसर साबित हुई। अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था ऑक्सफेम की इस बात के लिए तारीफ करनी […]

बिन सत्ता के नेता कैसे रहे कांग्रेस में?

अजीत द्विवेदी जब भी कांग्रेस का कोई नेता पार्टी छोड़ता है तो उसे नए और पुराने की बाइनरी में देखा जाता है। इसके अलावा दूसरे पहलुओं पर देखने की जहमत नहीं उठाई जाती है। पीढिय़ों के संघर्ष की बाइनरी चूंकि बहुत सुविधाजनक है इसलिए इस पहलू से देख कर मामले को हर बार रफा-दफा कर […]

बेरोजगारी का संगीन साया

एक तो आशंका है कि इस वर्ष विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी का शिकार हो सकती हैं। दूसरी तरफ टेक कंपनियां अब बड़े पैमाने पर एआई का इस्तेमाल कर रही हैं। इस कारण पहले जितने कर्मचारियों की जरूरत पड़ती थी, अब उतनी नहीं रह गई है। नए साल की शुरुआत के साथ टेक्नोलॉजी क्षेत्र की […]

आप और कांग्रेस का हो जाएगा तालमेल

कांग्रेस पार्टी के नेताओं का एक वर्ग ऐसा है, जो मान रहे हैं कि पार्टी को किसी हाल में आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल नहीं करना चाहिए। उनका तर्क है कि कांग्रेस ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवाई थी इसका नतीजा यह हुआ […]

विन्ध्य पार भाजपा की ज्यादा तैयारी

हरिशंकर व्यास एकनाथ शिंदे के खेमें का असली शिवसेना घोषित होना अंहम सियासी संकेत है। इससे48 लोकसभा सीटों की चुनावी तस्वीर साफ हुई है। महाराष्ट्र में भाजपा अकेले अपने दम पर, अधिकाधिक सीटों पर लड़ेगी। शिंदे और अजित पवार के लोगों को भाजपा 48 में से दस सीटे बांटे तो बड़ी बात होगी।दोनों के जमीनी […]

दक्षिण अफ्रीका फिलिस्तीनियों का अकेला सच्चा हमदर्द?

श्रुति व्यास सामूहिक नरसंहार (जेनोसाइड) पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता हुआ पड़ा है। और संयोग जो इसकी 75वीं वर्षगाँठ के एक महीने बाद समझौते की सार्थकता, उसके व्यावहारिक इस्तेमाल की परीक्षा का मौका सामने आया है।अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के मुख्यालय हेग में इजराइल के गाजा पर हमलों पर सुनवाई शुरू हुई है। दक्षिण अफ्रीका ने विश्व […]

दावे भी तो ऐसे

यह धारणा बनी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अंग्रेजी के अक्षर की शक्ल हासिल कर ली है। एसबीआई की इस रिपोर्ट का मकसद इसी धारणा को तोडऩा मालूम पड़ता है। इसके लिए कई हवाई तर्क इसमें शामिल किए गए हैँ। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट ऐसे दावे किए हैं, जिनकी तुलना […]

चुनाव में क्या आर्थिकी, माली दशा के मुद्दे होंगे?

अजीत द्विवेदी पिछले लोकसभा चुनाव की एक खास बात यह थी कि उसमें अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे चुनावी राजनीति का हिस्सा नहीं थे। चुनाव में व्यापक रूप से राजनीतिक, धार्मिक व राष्ट्रवाद के मसले हावी रहे थे। आमतौर पर जब चुनाव इस तरह के मुद्दों पर होते हैं तब यथास्थिति बनी रहती है। भारत में […]

बेरोजगारी का यह आलम

ऊंची योग्यता वाले युवाओं का ऐसे पद पर नौकरी करना- जिसके लिए वे जरूरत से ज्यादा योग्य हैं- स्पष्टत: देश में बेरोजगारी की भीषण हालत का संकेत है। वैसे आंकड़े भी देश में बेरोजगारी की ऊंची दर की पुष्टि करते हैं। मीडिया की सुर्खियों ने आबादी के बड़े हिस्से को सुखबोध से ओत-प्रोत कर रखा […]

जरूरी हैं एहतियाती तैयारियां

गजा में इजराइली हमलों के कारण पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय युद्ध भडक़ने का खतरा पैदा हो गया है। नतीजतन, वैश्विक सप्लाई चेन भंग होने लगा है। इससे फिर महंगाई का दौर आने की आशंकाएं गहराती जा रही हैं। भारतीय नौसेना की तत्परता ने उस जहाज को समुद्री डाकुओं से अपहरण के कुछ घंटों के अंदर […]

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