Category: ब्लॉग

आंखों के आगे इतिहास

हरिशंकर व्यास हां, आंखों देखा इतिहास! ऐतिहासिक मोड़ पर है मौजूदा सिरमौर सभ्यता अमेरिका। वह इस सप्ताह अपने हाथों अपनी सभ्यता का इतिहास बनाएगी। अमेरिकी मतदाता तय करेंगे कि वे अपने सभ्यतागत मूल्यों और सांचे की निरंतरता में कमला हैरिस को जिताते हैं या वैयक्तिक तानाशाही जिद्द वाले डोनाल्ड़ ट्रंप को जिताते हैं। डोनाल्ड ट्रंप […]

कांग्रेस फिर एक बार अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोडने को तैयार

अनिल चतुर्वेदी कांग्रेस फिर एक बार अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोडने को तैयार होती दिख रही है। हरियाणा विधानसभा चुनावों में हार की बजह टटोलने के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे जो तीन सदस्यीय टीम बनाई उसमें शामिल नेता शायद ऐसा ही जबाव अपने नेता को देने की तैयारी में हैं। यह अलग […]

ब्रिक्स में मोदी के रुख अहम और विचारणीय

हरिशंकर व्यास लाख टके का सवाल है कि भारत का रूपया चीन की युआन, रूस के रूबल करेंसी के लेन-देन में सुरक्षित है या डालर की व्यवस्था में? आजादी के बाद विश्व व्यापार में भारत का डालर में लेन-देन क्या भरोसेमंद या सुरक्षित था या नहीं? और यदि सुरक्षित था तो वह क्यों चीन-रूस की […]

सोने की लगातार बढ़ती चमक

सतीश सिंह मार्च 2019 से मार्च 2024 के दौरान सोने की कीमत में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  मौजूदा परिदृश्य में यह दिसंबर तक 80 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर सकता है।  एक जनवरी 2024 को 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 63,352 रुपये थी, जो 79,710 […]

अमेरिकी चुनाव सचमुच धड़कन बढ़ाने वाला

हरिशंकर व्यास यों कोई भी देश हार्ट अटैक से नहीं मरा करता। सभ्यता-संस्कृति अचानक मुर्दा नहीं बनती। सभ्यता-संस्कृति की मौत की वजह हमेशा असुरी-बर्बर सेनाएं हैं। इसलिए डोनाल्ड ट्रंप, हिटलर पैदा हो जाएं तो वह राष्ट्र विशेष बरबाद जरूर होगा पर मरेगा नहीं। बावजूद इसके अमेरिका में जरासंध यदि राष्ट्रपति हुआ तो उसका विभाजित और […]

भारत में टैक्स, जैसे सीरिंज लगा कर खून निकालना

हरिशंकर व्यास दुनिया के सभ्य, विकसित और लोकतांत्रिक देशों ने अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा का कवच उपलब्ध कराया है। उन्हें मुफ्त में अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिलती है। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाती है और रोजगार खत्म होते ही तत्काल भत्ता मिलता है। सरकार उनके लिए सम्मान से जीने की […]

ममता के प्रति जो धारणा बदल रही

अजीत द्विवेदी पश्चिम बंगाल में इतिहास अपने को दोहराता लग रहा है। एक बाद एक हो रही भयावह घटनाएं और राज्य के अलग अलग हिस्सों में स्वंयस्फूर्त हो रहे जन आंदोलन 2011 से पहले के समय की याद दिला रहे हैं। पश्चिम बंगाल में वामपंथी शासन के पांव उखडऩे से पहले राज्य के हालात ऐसे […]

टैक्स चोरी करने वालों की मौज

अजीत द्विवेदी किसी अज्ञात शायर का शेर है- विसाल ए यार से दूना हुआ इश्क, मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की। यही हुआ है भारत में बड़े धूम धड़ाके से आधी रात को संसद बुला कर शुरू किए गए अप्रत्यक्ष कर सुधार के कानून, वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के साथ। जैसे जैसे […]

योजनाओं में भ्रष्टाचार तो अपने पाँव पसारता ही है

विनीत नारायण आज की सूचना क्रान्ति के दौर में ऐसी चोरी पकडऩा बायें हाथ का खेल है। उपग्रह सर्वेक्षणों से हर परियोजना के क्रियान्वयन पर पूरी नजर रखी जा सकती है और काफी हदतक चोरी पकड़ी जा सकती है। पर चोरी पकडऩे का काम नौकरशाही का कोई सदस्य करेगा तो अनेक कारणों से सच्चाई छिपा […]

उमर अपनी बात पर कितना खरा उतरते हैं?

बलबीर पुंज बकौल मीडिया रिपोर्ट, चुनाव जीतने के तुरंत बाद उमर ने स्पष्ट कर दिया था, हमें केंद्र के साथ समन्वय बनाकर चलने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर के कई मुद्दों का समाधान केंद्र से लड़ाई करके नहीं हो सकता। यह देखना रोचक होगा कि मुख्यमंत्री उमर अपनी इस बात पर कितना खरा उतरते हैं? उमर […]

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