दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को ‘लक्षणात्मक रोग’ कहे जाने पर कड़ी निंदा व्यक्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज में ‘विकसित भारत में महिलाओं की भूमिका’ पर छात्रों और फैकल्टी को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बयान को अत्यंत शर्मनाक और महिलाओं की पीड़ा को तुच्छ बताने वाला बताया। उन्होंने कहा, “मैं आश्चर्यचकित हूं कि सर्वोच्च न्यायालय के बार के एक सदस्य और संसद के एक सदस्य ने ऐसा बयान दिया। ऐसी स्थिति की निंदा करने के लिए शब्द भी कम हैं।”
धनखड़ ने कहा कि हमारी बेटियों और महिलाओं के मन में डर एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं, वह समाज सभ्य नहीं माना जा सकता और यह हमारे विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा है। उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से राष्ट्रपति के “बस बहुत हुआ” के आह्वान को आत्मसात करने और एक ऐसा सिस्टम बनाने की अपील की जिसमें कोई भी लड़की या महिला पीड़ित न हो।
वित्तीय स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने सभी महिलाओं से आर्थिक रूप से सशक्त बनने की अपील की। उन्होंने कहा, “लड़कियां हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण हिस्सेदार हैं। वे ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।”
लिंग आधारित असमानताओं को समाप्त करने पर जोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि समान योग्यता के बावजूद भिन्न वेतन और समान अवसरों की कमी जैसी असमानताएं अब समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड को महिलाओं के लिए न्याय का एक उपाय बताया और इसके शीघ्र लागू होने की आवश्यकता पर बल दिया।
महिलाओं की प्रतिनिधित्व में हो रही प्रगति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण गेम चेंजर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह पहल नीति निर्धारण में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी और सही लोगों को निर्णय लेने के पदों पर पहुंचाएगी।
उपराष्ट्रपति ने सरकारी नौकरियों पर युवाओं के मोह को पीड़ादायक बताते हुए कोचिंग के वाणिज्यीकरण की आलोचना की और युवाओं से उपलब्ध संभावनाओं का उपयोग करने की अपील की। उन्होंने राष्ट्रीय हित के खिलाफ चुनौतियों को पहचानने और नष्ट करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अस्तित्व संकट पर ध्यान केंद्रित करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल का आह्वान किया और नागरिकों से इस noble cause में शामिल होने की अपील की।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. योगेश सिंह, भारती कॉलेज की अध्यक्ष प्रो. कविता शर्मा, भारती कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. सलोनी गुप्ता, छात्र, फैकल्टी सदस्य और अन्य सम्मानित व्यक्ति भी उपस्थित थे।