नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नई जैव-आर्थव्यवस्था नीति, जिसे बायोई3 (अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण के लिए जैवप्रौद्योगिकी) नीति कहा जाता है, भारत को आने वाले वर्षों में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करेगी। डॉ. सिंह ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल में इस महत्वकांक्षी नीति पर लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यह नीति भारत की जैवप्रौद्योगिकी क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण की सराहना डॉ. सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में तैयार की गई इस नीति का उद्देश्य परंपरागत उपभोक्तावादी सोच को पीछे छोड़ते हुए, एक स्वच्छ, हरित और समृद्ध भारत की दिशा में कदम बढ़ाना है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब वैश्विक जैवप्रौद्योगिकी ताकत के रूप में उभर रहा है और पूरी दुनिया में मोदी को जैवप्रौद्योगिकी के तेजी से विकास के चैंपियन के तौर पर सराहा जाएगा।
नीति की प्रमुख विशेषताएं डॉ. सिंह ने कहा कि बायोई3 नीति में जैव आधारित रसायनों, स्मार्ट प्रोटीन, सटीक जैव चिकित्सा, जलवायु-सक्षम कृषि और कार्बन बंदीकरण जैसे क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही, यह नीति जैव-आधारित उत्पादों के उत्पादन, विकास और वाणिज्यिकरण के लिए केन्द्रीकृत सुविधाओं की स्थापना का भी समर्थन करती है।
जैव-विनिर्माण केन्द्रों का महत्व डॉ. सिंह ने बताया कि जैव-विनिर्माण केन्द्र प्रयोगशाला-पैमाने और वाणिज्यिक-पैमाने के विनिर्माण के बीच के अंतर को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये केन्द्र स्टार्ट अप, एसएमई और स्थापित विनिर्माताओं के बीच सहयोग बढ़ाने के साथ ही एमआरएनए-आधारित टीकों और प्रोटीन जैसे उत्पादों के बड़े पैमाने पर विनिर्माण में भी योगदान करेंगे।
रोजगार सृजन पर जोर डॉ. सिंह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि बायोई3 नीति के तहत दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में जैव-विनिर्माण केन्द्रों के स्थापित होने से व्यापक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इन केन्द्रों में स्थानीय बायोमास संसाधनों का लाभ उठाकर आर्थिक विकास को तेज किया जाएगा।
डॉ. सिंह ने साक्षात्कार के समापन पर कहा कि जैव-ई3 नीति देश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार में निवेश करके “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को समर्थन देती है, और यह प्रभावी विज्ञान नीतियों के राष्ट्रीय विकास और स्थिरता को आगे बढ़ाने का एक मानक स्थापित करती है।