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सीबीआई केस में जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचे अरविंद केजरीवाल, 5 जुलाई को होगी सुनवाई

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर पांच जुलाई को सुनवाई करेगा. सीएम केजरीवाल के वकील ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मामले का जिक्र किया, जिस पर अदालत ने कहा कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी.

अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रजत भारद्वाज ने कहा कि उपयुक्त कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना याचिकाकर्ता को अवैध हिरासत में लिया गया और उन्होंने जमानत याचिका दायर की है. वकील ने याचिका पर सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन तय करने का आग्रह किया, जिस पर न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘न्यायाधीश को कागजात देखने दीजिए. इसके एक दिन बाद हम सुनवाई करेंगे.’

सीबीआई ने 26 जून को किया था गिरफ्तार
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को 26 जून को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन मामले के सिलसिले में केजरीवाल वहां अब भी न्यायिक हिरासत में हैं. उन्होंने सीबीआई के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है.

निचली अदालत से मिली थी जमानत
अदालत ने नोटिस जारी किया था और दलीलें पेश किये जाने के लिए 17 जुलाई को इसे सूचीबद्ध करते हुए सीबीआई को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और उन्हें 20 जून को अधीनस्थ अदालत ने धन शोधन मामले में जमानत दी थी. हालांकि, अधीनस्थ अदालत के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी.

12 जुलाई तक बढ़ाई गई न्यायिक हिरासत
इस बीच दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत अवधि 12 जुलाई तक बढ़ा दी. केजरीवाल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष पेश हुए थे.

इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में कथित अनियमितता व भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इस नीति को 2022 में रद्द कर दिया गया था. सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करने के दौरान अनियमितता बरती गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित फायदा पहुंचाया गया.

 

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