आजकल हर कोई फिट रहना चाहता है. ज्यादातर लोग जिम में जाकर वर्कआउट करते हैं. कुछ लोग घर में ही एक्सरसाइज और सही डाइट फॉलो कर खुद की बॉडी को मेंटेन रखने की कोशिश करते हैं। जब भी फिटनेस की बात आती है तो दो बातों की चर्चा सबसे ज्यादा होती है.
पहला वेट लॉस और दूसरा सही डाइट. जिसके जरिए फैट लॉस किया जाता है. इसे लेकर मसल्स लॉस की भी खूब बातें होती हैं. बहुत से लोग फैट लॉस और मसल्स लॉस के बीच का अंतर ही नहीं जानते हैं. अगर आप भी इनमें फर्क नहीं कर पाते तो यहां जानिए…
फैट लॉस और मसल्स लॉस क्या हैं
मसल्स लॉस और फैट लॉस में काफी फर्क होता है. मोटापा कम करने की बात होने पर फैट लॉस की सलाह डॉक्टर देते हैं.फैट लॉस से शरीर को फिट बनाया जा सकता है, लेकिन मसल्स लॉस बिल्कुल भी सही नहीं है. शरीर का फैट कम करने के लिए कैलोरी डेफिसिट की आवश्यकता होती है. जब ऐसा नहीं हो पाता तो शरीर मसल्स बर्न करने लगता है और उसे एनर्जी देने लगता है. इससे मसल्स लॉस धीरे-धीरे होने लगता है।
वेट लॉस क्या होता है
वेट लॉस का मतलब फैट लॉस ही है. फैट कम करने के लिए कैलोरी को कम करना होता है. अगर फैट कम कर रहे हैं तो ये भी हो सकता है कि मसल्स को सही हिसाब से कैलोरी न मिल रही हो. ऐसे में बहुत से लोग सोचते हैं कि क्या एक ही समय पर फैट लॉस और मसल्स गेन किया जा सकता है।
मसल्स लॉस कैसे होने लगता है
जब वेट लॉस के लिए कैलोरी डेफिसिट में पहुंचते हैं यानी शरीर में कैलोरी कम होने लगती है तो शरीर को जरूरी ऊर्जा नहीं मिलती है. ऐसे में शरीर मसल्स को बर्न कर एनर्जी गेन करता है। इससे मसल्स लॉस होने लगता है।
मसल्स लॉस और फैट लॉस में क्या अंतर है
फैट लॉस का मतलब शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट कम करना है. फैट मसल्स के चारों तरफ एक परत की तरह जमा होता है. इसे कम करने से शरीर का वजन कम होता है. जबकि मसल्स लॉस का मतलब मांसपेशियों का घटना है. मसल्स शरीर की ताकत और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है. मसल्स लॉस का सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है।