नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों के बाद और तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और इसकी अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को एक और झटका लगा है. मनोनीत सदस्यों राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है. इसके साथ ही बीजेपी के सांसदों की संख्या कम हो गई है. वहीं इसके साथ ही एनडीए गठबंधन ने अपना बहुमत गंवा दिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीजेपी की सलाह पर इन चारों को सदस्यों के तौर पर रूप में चुना था. इसके बाद इन्होंने औपचारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ गठबंधन कर लिया था.
एनडीए के बहुमत का क्या
इन सांसदों के रिटायर होने से बीजेपी के सदस्यों की संख्या घटकर 86 रह गई है. साथ ही एनडीए के सांसदों की संख्या 101 हो गई है. यह 245 सदस्यीय सदन में मौजूदा बहुमत के 113 के आंकड़े से कम है. हालांकि, एनडीए के पास बाकी सात मनोनीत सांसदों और एक निर्दलीय का समर्थन है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक के पास 87 सदस्य हैं, जिनमें से कांग्रेस के पास 26, तृणमूल कांग्रेस के पास 13 और दिल्ली और तमिलनाडु में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और डीएमके के पास 10-10 सदस्य हैं. बीजेपी या कांग्रेस से गठबंधन न करने वाली पार्टियां – जैसे कि तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बीआरएस – मनोनीत सांसद और बाकी निर्दलीय हैं.
गैर-एनडीए पार्टियों का सहारा
इसका मतलब है कि सरकार अभी भी गैर-एनडीए दलों पर राज्यसभा में बिल पास कराने के लिए निर्भर है. जब तक कि बीजेपी चार खाली सांसदों की सीटों को भर नहीं लेती है और इस साल होने वाले 11 खाली सीटों के लिए चुनाव पूरा नहीं हो जाता. बीजेपी को इनमें से कम से कम आठ सीटें जीतने की उम्मीद है. अभी तक बीजेपी को बिल पास करने के लिए एनडीए दलों के 15 वोट और 12 और चाहिए. उन 12 में से सात बाकी मनोनीत सांसदों से आ सकते हैं.
सीएए जैसे बिल होंगे कैंसिल?
मंगलवार को कहा है कि वह अब सीएए को कैंसिल करने के तरीकों पर विचार कर रही है. पार्टी की मानें तो पिछले कुछ सालों में पहली बार राज्यसभा में बीजेपी की संख्या 90 से नीचे आ गई है. कई सीएए विरोधी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया और असम सरकार के निर्देश की आलोचना की. राज्य पार्टी के प्रवक्ता बेदब्रत बोरा ने बताया, ‘कांग्रेस सीएए को कभी स्वीकार नहीं करेगी. हम इस पर अडिग हैं और अपने वादे पर कायम हैं कि जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आएगी तो इस कानून को कैंसिल कर दिया जाएगा.’ उनका कहना था कि, ‘चूंकि राज्यसभा में बीजेपी की संख्या अब 90 से नीचे आ गई है तो हम देखेंगे कि राज्य सभा के जरिये से इस एक्ट को कैंसिल करने के लिए क्या किया जा सकता है.’