लखनऊ। उत्तराखंड की धामी सरकार ने मंगलवार (6 फरवरी) को विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश किया। जिसका तमाम मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। अब AIMIM पार्टी के चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस विधेयक पर सवाल खड़े किए हैं।
ओवैसी ने बुधवार को एक्स पर लिखा, ‘उत्तराखंड UCC बिल एक हिंदू कोड के अलावा और कुछ नहीं है। जो सभी पर लागू हो जाएगा। इसमे हिंदू अविभाजित परिवार को क्यों छुआ नहीं गया है? अगर आप उत्तराधिकार और विरासत के लिए एक समान कानून चाहते हैं, तो हिंदुओं को इससे बाहर क्यों रखा गया है? क्या कोई कानून एक समान हो सकता है यदि वह आपके राज्य के अधिकांश हिस्सों पर लागू नहीं होता है।
AIMIM चीफ ने आगे लिखा, ‘बहुविवाह, हलाला, लिव-इन रिलेशनशिप चर्चा का विषय बन गए हैं, लेकिन कोई यह नहीं पूछ रहा कि हिंदू अविभाजित परिवार को क्यों बाहर रखा गया है। कोई नहीं पूछ रहा कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी। सीएम के मुताबिक बाढ़ से उनके राज्य को 1000 करोड़ का नुकसान हुआ है। 17000 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई और फसल के नुकसान का अनुमान ₹2 करोड़ से अधिक था। उत्तराखंड की वित्तीय स्थिति खराब है, लेकिन फिर भी सीएम धामी के लिए ये कानून जरूरी है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए लिखा, ‘अन्य संवैधानिक और कानूनी मुद्दे भी हैं। आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया है? यदि एक समुदाय को छूट दे दी जाए तो क्या यह एक समान हो सकता है? अगला सवाल मौलिक अधिकारों का है। मुझे अपने धर्म और संस्कृति का पालन करने का अधिकार है, यह विधेयक मुझे एक अलग धर्म और संस्कृति का पालन करने के लिए मजबूर करता है। हमारे धर्म में, विरासत और विवाह धार्मिक प्रथा का हिस्सा हैं, हमें एक अलग प्रणाली का पालन करने के लिए मजबूर करना अनुच्छेद 25 और 29 का उल्लंघन है। ’
ओवैसी ने कहा, ‘यूसीसी का संवैधानिक मुद्दा है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि UCC केवल संसद द्वारा अधिनियमित किया जा सकता है. यह विधेयक शरिया अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम, एसएमए, आईएसए आदि जैसे केंद्रीय कानूनों का खंडन करता है। राष्ट्रपति की सहमति के बिना यह कानून कैसे काम करेगा?’