जहाँ चार धाम, ऋषियों की तपस्थली और हेमकुंड साहिब जैसी पवित्र जगहें मिलती हैं आत्मा को सच्ची शांति
प्रियांश कुकरेजा
भारत के उत्तरी भाग में स्थित उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ यानी ‘देवताओं की भूमि’ कहा जाता है क्योंकि यह जगह सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता से भरी नहीं है, बल्कि यहाँ धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह वही धरती है जहाँ हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थ—बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—मौजूद हैं, जिनकी यात्रा से मोक्ष मिलने की बात मानी जाती है। साथ ही, यहाँ से गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियाँ निकलती हैं, जिनका ज़िक्र वेदों और पुराणों में भी किया गया है। ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे स्थान योग और ध्यान के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं, जहाँ दुनिया भर से लोग आत्मा की शांति पाने आते हैं। उत्तराखंड वह जगह है जहाँ पुराने समय से महात्मा व्यास, वल्मीकि, कण्व जैसे महान ऋषियों ने तपस्या की और धार्मिक ग्रंथ लिखे। यहाँ कई पुराने मंदिर जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, जागेश्वर, नैना देवी और मां धारी देवी इस प्रदेश की धार्मिक गरिमा को और बढ़ाते हैं।
साथ ही, उत्तराखंड की खूबसूरत पर्वतीय घाटियाँ, ठंडी हवाएँ और शांत वातावरण हमारी आत्मा को शांति देते हैं। यहाँ समुद्र तल से लगभग 4,633 मीटर ऊँचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब भी है, जो दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्थली माना जाता है। बर्फ से घिरे इस पवित्र स्थान पर हर साल सिख श्रद्धालु और ट्रेकर्स बड़ी संख्या में आते हैं। इन सब कारणों से उत्तराखंड सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास की जगह है,
आज के तेज़ और व्यस्त जीवन में, जब हम हर समय भाग-दौड़ में रहते हैं, उत्तराखंड की यह पवित्र भूमि हमें प्रकृति के करीब आकर दिल और दिमाग को आराम देने का मौका देती है। यहाँ का साफ-सुथरा वातावरण और पवित्र जगहें हमें सच्ची खुशी, सादगी और शांति का अहसास कराती हैं। इसलिए उत्तराखंड न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि हमारे मन और आत्मा के लिए भी बहुत खास है। यही वजह है कि देवभूमि उत्तराखंड हर किसी के दिल में एक अलग जगह रखती है।