मथुरा। आज देश में पंचायती राज दिवस मनाया जा रहा है और वर्तमान सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री भारत के द्वारा महिलाओं की पंचायत में स्थिति को मजबूत करने हेतु 50% आरक्षण की व्यवस्था की गई है। उस समय के तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 24 अप्रैल 2010 को पहला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस घोषित किया और उन्होंने उल्लेख किया कि अगर पंचायती राज संस्थाओं ने ठीक से काम किया और स्थानीय लोगों ने विकास प्रक्रिया में भाग लिया, तो गरीबी, बुख मरी आदि खतरे का मुकाबला किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2015 को निर्वाचित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए “सरपंच पति” ” प्रधानपति” की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया, ताकि वे सत्ता में चुने जाने के बाद उनके कामों पर अनुचित प्रभाव ना डाल सकें लेकिन यह व्यवस्था अभी सिर्फ कागजों तक ही सीमित दिखाई पड़ती है क्योंकि अभी भी अधिकतर पंचायत में महिला प्रधान सिर्फ मुखौटा बनकर रह गई है और उनकी प्रधानी को उनके पति ,पुत्र , देवर और प्रतिनिधि चला रहे हैं। देश की 90 प्रतिशत महिला घर के कामों तक सीमित है और गाय भैंसों का दूध निकालना और गोबर डालना, खाना बनाना आदि कामों तक सीमित दिखाई पड़ रही है।
आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मधुबनी, बिहार में उन पंचायत को पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। जिन पंचायतो ने अपने आप में बदलाव करके दिखाया है और क्षेत्र में अपनी नई पहचान बनाई है ।इसी कड़ी में समस्तीपुर जिले की मोतीपुर पंचायत जो कि एक महिला मुखिया के कारण सुर्खियों में है उनको प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कार से नवाजा जाएगा लेकिन यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश में ध्वस्त होती हुई दिखाई पड़ रही है क्योंकि अधिकतर पंचायत की कमान अप्रत्यक्ष रूप से महिला प्रधानों और उनके पुत्रों के हाथ में है । महिला सिर्फ घर के अंदर सीमित है। यह लोग पंचायत की कमान अपने हाथ में लेकर सत्ता सुख भोग रहे हैं और मलाई चाट रहै है और पंचायत का विकास जिस तरह से होना चाहिए था उसका विकास उस तरह से हो नहीं पा रहा है ।
अब ऐसे में इस प्रकार से तो महिला सशक्तिकरण हो नहीं सकता कि जन प्रतिनिधि बनने के बाद वह पंचायत का कोई काम ना करें और वह सामाजिक रूप से मजबूत हो जाए। महिला प्रधानों की स्थिति जानने हेतु हम लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण स्तर और पंचायत में जाकर इन लोगों से जानने की कोशिश की कि प्रधान बनने के बाद उनके जीवन स्तर में क्या बदलाव आया लेकिन जब इनके द्वारा खंड विकास अधिकारी , मथुरा के कार्यालय में जो फोन नंबर उपलब्ध कराए हैं उस पर संपर्क करने पर यह फोन उनके पति, पुत्र और अन्य प्रतिनिधि द्वारा ही उठाए गए जिस पर इन्हीं लोगों के द्वारा सही तरीके से जवाब न देने के कारण या टाल मटोल करने के कारण पंचायत की सही स्थिति सामने नहीं आ पाई। हमारी टीम ने कुछ पंचायत का दौरा किया और वहां की वास्तविक जमीन हकीकत जानने की कोशिश की।
केस:01
श्रीमती सावित्री देवी , ग्राम पंचायत: जुन सिटी की प्रधान है इनके नंबर पर संपर्क करने पर उनके पति से बात हुई और हमने कहा कि प्रधान जी हम आपसे मिलना चाहते हैं तब उन्होंने कहा कि मैं कहीं बाहर हूं, नहीं मिल सकता। जब गांव के ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रधान द्वारा काम तो कराया गया है लेकिन उस तरह का काम नहीं कराया है जिस तरह से कराया जाना चाहिए ।अमृत सरोवर का काम अधूरा है और पानी की पाइपलाइन जगह-जगह टूटी हुई है। इनकी वार्षिक योजना के अनुसार उन्होंने गांव में लगभग 30 से 35 लाख लागत के सामुदायिक शौचालय बनाए हैं लेकिन मौके पर वह शौचालय हमको नजर नहीं आए और अमृत सरोवर योजना का बोर्ड शमशान स्थल स्थित कमरे में रखा पाया गया और तालाबों में खरपतवार खड़ी हुई मिली।
केस :02
श्रीमती शगुन कुमारी, ग्राम पंचायत : राल , जब उनको संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और गांव के पंचायत भवन जाने पर वहां सावित्री देवी मिली जिन्होंने अपने आप को पंचायत सहायक बताया और कहां कि पंचायत का काम प्रधान का पुत्र देखता है हमने कहा कि आज पंचायत दिवस है इस पर वह बोली कि हां मुझे मालूम है ।हमारे पूछने पर आपको यह कब मालूम पड़ा तो उन्होंने कहा कि आज ही मालूम हुआ है कि पंचायत दिवस है और यहां आज मीटिंग होने वाली है जिसकी सूचना सचिव श्री रघुवीर सिंह द्वारा मुझे दी गई है। जब इसकी अध्यक्षता के बारे में पूछा तब उन्होंने कहा कि प्रधानी को तो हमने नहीं देखा है हमें यहां 10 महीने हो चुके हैं लेकिन उनका पुत्र और उनके पति ही पंचायत के कामों को करते हैं।यह एक बड़ी पंचायत है इसके अंतर्गत लगभग आठ नगले/ मजरे आते है।
यहां 5 से 6 सफाई कर्मचारी नियुक्त है लेकिन पंचायत में सफाई की व्यवस्था नगण्य है और नालियों से गंदगी निकल कर सड़क पर खुले आम बह रही है । इसी पंचायत के भाग नगला माली में प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी और स्थित शिक्षकों से बात करने पर यह ज्ञात हुआ कि इस विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम है और उन्होंने कहा कि हमारी बराबर कोशिश है कि विद्यालय में बालक और बालिकाओं की संख्या बढ़ाई जाए ।इसके लिए हम लोग जी जान से मेहनत कर रहे हैं हमारे विद्यालय की बाउंड्री वॉल टूटी हुई है इसके लिए हमने प्रधान को कहा है लेकिन प्रधान की तरफ से कोई उत्तर नहीं आया है। हम चाहते हैं खंड विकास अधिकारी इस समस्या पर ध्यान दें और विद्यालय की टूटी फूटी दीवार को सही कराए जिससे कि बच्चो को चोट लगने से बचाया जा सके।
केस:03
श्रीमती ममता, ग्राम पंचायत: जैंत, इनके नंबर पर संपर्क करने पर उनसे बात नहीं हो पाई ।यह पंचायत राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या: 02 पर स्थित है यह एक बड़ी पंचायत है और यह पंचायत भी अन्य पंचायत की तरह ही पाई गई। जब खंड विकास अधिकारी, मथुरा को फोन किया तो उनका फोन आउट ऑफ कवरेज एरिया बताता रहा।अब सवाल यह होता है क्या इस तरह से इन महिला प्रधानों का सशक्तिकरण हो पाएगा।
एक तरफ को केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,राज्य सरकार का पंचायती राज विभाग इन महिलाओं के उत्थान हेतु कार्यक्रम चला रहा है और ओमप्रकाश राजभर जो की पंचायती राज विभाग उत्तर प्रदेश के मंत्री हैं वह गरीब ,पिछड़े, दलित और वंचितों की महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रहे है वह इन महिला प्रधानों को उनका हक दिला कर रहेंगे लेकिन उनके पुत्र और पतियों द्वारा ही उनका सामाजिक , आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है। मान लीजिए किसी पंचायत में भ्रष्टाचार पाया जाता है तब जेल कौन जाएगा।पंचायत प्रधान जाएगा कि पंचायत प्रधान का पति , पुत्र या अन्य प्रतिनिधि जाएगा ।