कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व संभालने के लिए तैयार हैं। ममता का यह बयान कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के भीतर एक नई हलचल को जन्म दे सकता है। लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को कड़ी चुनौती दी थी, लेकिन हाल ही में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद से गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
ममता का बयान और कांग्रेस से तल्खी
न्यूज18 बांग्ला को दिए गए एक साक्षात्कार में ममता बनर्जी ने कहा, “मैंने इंडिया ब्लॉक का गठन किया था। अब इसे संभालने की जिम्मेदारी उन लोगों पर है जो इसका नेतृत्व कर रहे हैं। अगर वे इसे नहीं चला सकते, तो मैं क्या कर सकती हूं? मैं बस इतना कहूंगी कि सभी को साथ लेकर चलना होगा।”
जब ममता से यह पूछा गया कि क्या वह इंडिया ब्लॉक की कमान संभालेंगी, तो उन्होंने कहा, “अगर मौका मिला, तो मैं इसके सुचारू संचालन को सुनिश्चित करूंगी।” ममता के इस बयान को विपक्षी गठबंधन के भीतर मतभेदों और असंतोष के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में खटास के बीच।
तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के रिश्ते
लोकसभा चुनावों के बाद से तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस से दूरी बनाए रखी है और पार्टी के साथ कोई चुनावी गठबंधन नहीं किया है। ममता ने संकेत दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इंडिया ब्लॉक से अलग होने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने कहा, “मैं बंगाल से बाहर नहीं जाना चाहती, लेकिन मैं इसे (इंडिया ब्लॉक को) यहीं से चला सकती हूं।”
कांग्रेस और सीपीआई की प्रतिक्रिया
इंडिया ब्लॉक की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने ममता के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, इससे पहले सीपीआई ने भी कांग्रेस के तरीके पर नाराजगी जताई थी। सीपीआई महासचिव डी राजा ने पिछले सप्ताह कहा था कि इंडिया गठबंधन के सीट-बंटवारे में वामपंथी दलों को उचित स्थान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने अब ममता के बयान पर प्रतिक्रिया देने से मना किया, लेकिन यह जरूर कहा कि कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।
ममता का यह बयान इंडिया ब्लॉक के भविष्य और विपक्षी एकता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और अन्य गठबंधन दल इसके बाद क्या कदम उठाते हैं।