अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वे को लेकर कोर्ट का बड़ा फैसला, याचिका स्वीकार

Court's big decision regarding the survey of Ajmer Sharif Dargah, petition accepted

अजमेर। राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर सिविल कोर्ट (वेस्ट) में बड़ी कार्रवाई हुई है। कोर्ट ने दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका स्वीकार कर ली है और इसे सुनवाई योग्य मानते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इस याचिका में दरगाह स्थल का एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा सर्वेक्षण कराने की मांग की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दरगाह की जगह पहले एक शिव मंदिर था या नहीं।

याचिका किसने दायर की?
यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर सिविल कोर्ट वेस्ट में दायर की थी। गुप्ता ने दावा किया है कि वर्तमान दरगाह स्थल पहले संकट मोचन शिव मंदिर था। वकील रामनिवास बिश्नोई और ईश्वर सिंह ने कोर्ट में याचिका के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किए। हिंदू सेना ने 1910 में प्रकाशित हर विलास शरदा की पुस्तक और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए अपने दावे को प्रमाणित करने का प्रयास किया।

भगवान शिव के बाल स्वरूप का दावा
याचिका में भगवान शिव के बाल स्वरूप का हवाला देते हुए यह तर्क दिया गया कि दरगाह की जगह पहले संकट मोचन शिव मंदिर था। वकीलों ने कोर्ट में दस्तावेज और ऐतिहासिक प्रमाण प्रस्तुत करते हुए अनुरोध किया कि इस स्थान को हिंदू समाज के लिए पूजा स्थल के रूप में वापस किया जाए।

कोर्ट का आदेश
सिविल कोर्ट (वेस्ट) के जज मनमोहन चंदेल ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि मामले में अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक विभाग और एएसआई को नोटिस जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि याचिका में प्रस्तुत तर्क और दस्तावेज मामले की सुनवाई के लिए पर्याप्त हैं।

अगली सुनवाई की तारीख
इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने कहा कि सर्वेक्षण और जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि दरगाह स्थल पहले शिव मंदिर था या नहीं। धार्मिक और ऐतिहासिक दावों से जुड़े इस विवाद पर अदालत के फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।

क्या है विवाद का महत्व?
अजमेर शरीफ दरगाह देशभर के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। इस पर याचिका और सर्वे की मांग धार्मिक और ऐतिहासिक दावों के चलते संवेदनशील मुद्दा बन गई है। अदालत के फैसले के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इस स्थल की ऐतिहासिक सच्चाई क्या है।

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