नई दिल्ली। अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत देने का फैसला सुनाया है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अब्बास अंसारी की जमानत याचिका को मंजूरी दी, फिर भी वह फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे क्योंकि उनके खिलाफ अन्य मामले भी अदालतों में विचाराधीन हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। अब्बास अंसारी, जो कि मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे हैं, को मनी लॉन्ड्रिंग केस और चित्रकूट जेल में अवैध तरीके से पत्नी से मुलाकात मामले में जमानत मिली है।
कोर्ट ने अब्बास अंसारी से यह भी कहा कि उन्हें चल रही जांच में सहयोग करना चाहिए।
ED द्वारा दर्ज किया गया केस
ED ने अब्बास अंसारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रारंभिक दृष्टया पैसे के लेनदेन का संबंध साबित होता है, और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत अदालत इस बात से संतुष्ट नहीं है कि अभियुक्त निर्दोष है। अब्बास अंसारी पर आरोप है कि उनकी कंपनी, मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है। इस फर्म ने जमीनों पर कब्जा कर गोदामों को FCI को किराए पर देकर 15 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। इसके अलावा, कंपनी पर नाबार्ड से 2.25 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्राप्त करने का भी आरोप है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली थी पहले राहत
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी को भी बड़ी राहत दी थी। हाईकोर्ट ने उनके साले आतिफ रजा उर्फ सरजील और अफरोज की भी जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी। हालांकि, जमानत अर्जी मंजूर होने के बाद भी अब्बास अंसारी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। जस्टिस राजवीर सिंह की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। फिलहाल, अब्बास अंसारी कासगंज जेल में बंद हैं, जबकि आतिफ रजा उर्फ सरजील लखनऊ जेल में हैं।